उदयपुर, 05 जनवरी (हि.स.)। जिस वाल्मीकि समाज ने जम्मू-कश्मीर में कच्छ डलियों में मैला ढोने और भेदभाव होने के बावजूद अपना धर्म नहीं छोड़ा, समस्त हिन्दू समाज को उन्हें गले लगाना चाहिए। इससे दलितों के नाम पर होने वाली राजनीति खत्म हो जाएगी। यह बात राष्ट्रवादी विचारक पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने शनिवार को उदयपुर में आयोजित कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि उन्हें गले लगाने की शुरुआत धारा 370 और खासतौर से 35-ए को हटाने के साथ हो चुकी है।
नगर निगम के सुखाडिय़ा रंगमंच पर भारत विकास परिषद प्रताप की ओर से आयोजित ‘राष्ट्रीय सुरक्षा-आंतरिक चुनौतियां’ विषयक परिसंवाद में कुलश्रेष्ठ ने कहा कि 70 साल से सरकारें चली हैं, पहली बार राष्ट्र चल रहा है। समाज को भी राष्ट्रहित सोचने वाली सरकार का साथ देना होगा, तभी हमारी सनातन संस्कृति अपने खोये हुए वैभव को पुनर्स्थापित कर सकेगी।
कुलश्रेष्ठ ने कहा कि 70 साल पहले जम्मू-कश्मीर में सफाईकर्मियों की हड़ताल हुई और तब वहां के राजनीतिक शासकों ने पठानकोट और अमृतसर से सफाई कर्म से जुड़े वाल्मीकि समाज के 200 परिवार बुलवाए और उनसे यह वादा किया गया कि उन्हें वहां नौकरी दी जाएगी और नागरिकता भी। हालांकि बाद में चुपके से जम्मू-कश्मीर विधानसभा में यह प्रस्ताव पारित कर दिया गया कि उन्हें राज्य में सिर्फ सफाईकर्मी की ही नौकरी मिल सकेगी। इस प्रस्ताव को गुपचुप ही रखा गया, जिसका दंश कुछ महीनों पहले तक वे 200 से ढाई लाख हो चुके वाल्मीकि समाज के परिवार झेल रहे थे। धारा 370 और 35-ए हटने का मतलब क्या होता है, कोई उनसे पूछे। अब उनके बच्चे उसी राज्य में विभिन्न क्षेत्रों में सरकारी सेवा के अवसर पा सकेंगे, जिससे वे वंचित थे। कुलश्रेष्ठ ने कहा कि इतनी प्रताडऩा के बावजूद उन्होंने अपने धर्म अपने सनातन संस्कार बरकरार रखे, पंथ परिवर्तन नहीं किया, ऐसे समाज को हमें गले क्यों नहीं लगाना चाहिए? और जम्मू-कश्मीर में बरसों तक चले इस भेदभाव पर मायावती और प्रकाश अम्बेडकर जैसे दलित चिंतक चुप्पी क्यों साधे रहे? यह सवाल भी उठाना चाहिए। उन्होंने समाज के युवाओं से इतिहास के गहराई से अध्ययन का आह्वान किया ताकि इस तरह की घटनाएं सामने लाई जा सकें और देश और सनातन संस्कृति के साथ हुए ‘झूठे’ व्यवहार की पोल खोली जा सके।
अंतरराष्ट्रीय पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने देश की आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक एवं सामाजिक व्यवस्थाओं का विश्लेषण करते हुए कहा कि देश में सत्तायें रहेंगी लेकिन यदि राष्ट्र को बचाना है तो हमें अपने घर से बाहर आना होगा। हमारा एक ही एजेन्डा होना चाहिए, राष्ट्र प्रथम। उन्होंने कहा कि 70 वर्षो से देश में राज करने वालों को जब वर्ष 2014 में नया शासक मिला तो भूचाल आ गया। यह दुनिया का पहला देश है, जिसे अपने अन्दरूनी खतरों का पता नहीं है। देश में सरकार के अलावा ऐसे कई तबके हैं, जिन्होंने इन 70 वर्षो में देश की जनता से सिर्फ और सिर्फ झूठ बोला है।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य संयोजक सत्यनारायण माहेश्वरी ने कहा कि भारत में 2 करोड़ घुसपैठिये आ गये, उस पर कोई नहीं बोलता लेकिन यदि दो लाख हिन्दुओं को नागरिकता देने की बात की जाती है तो देश में बसें जला दी जाती है। राज्य के मुख्यमंत्री धमकी देते है कि देश के टुकड़े हो जाएंगे।