चंडीगढ़, 19 नवम्बर (हि.स.)। पंजाब के बैंकों ने राज्य सरकार की किसान ऋण राहत योजना की धनराशि का एक हिस्सा अपने पास ही रखा हुआ है। ये वो राशि है, जिसे पीड़ित किसानों के क़र्ज़ की अदायगी के रूप में बैंकों को दिया जाना था लेकिन ऐसे दावेदार किसानों के नाम और पतों की पहचान नहीं हो सकी। ऐसे नामालूम किसानों की संख्या 10637 है , जिनकी 212 करोड़ रुपये से अधिक की राशि कर्जमाफी वाली राशि दी जानी थी।
इसके अतिरिक्त 6332 केसों में किसानों के बैंक खाते ही न होने अथवा खाते बंद होने या फिर पटवारी द्वारा तस्दीक न होने से करीब 126 करोड़ रुपये पंजाब सरकार को लौटा दिए गए। इसके बावजूद बैंकों ने अभी खुलकर खुलासा नहीं किया है कि किस-किस बैंक के पास पंजाब सरकार की क़र्ज़ माफ़ी योजना की राशि पड़ी है। पंजाब सरकार ने राज्य के सभी बैंकों को एक सप्ताह में इस योजना की राशि सरकार के खाते में डालने की सख्त हिदायत जारी की गई है।
पंजाब सरकार की क़र्ज़ माफ़ी योजना में 10.5 लाख रुपये किसानों को दो-दो लाख रुपये के कर्ज से सरकार द्वारा राहत दी जानी है, जिसकी राशि 10 हज़ार करोड़ रुपये थी, लेकिन इन 10.5 लाख किसानों में से सिर्फ 6.12 लाख किसानों की पहचान कर सकी है, जिनमें से भी 5. 5 लाख किसानों की कर्ज माफी के लिए राशि जारी की गई थी। ये राशि 6400 करोड़ रुपये थी जबकि विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस ने 15 लाख किसानों के कर्ज माफी का वादा किया था। पंजाब सरकार ने सहकारी और राष्ट्रीय बैंकों को 6400 करोड़ रुपये की राशि किश्तों में जारी की थी लेकिन अब बैंकों को कर्ज माफी योजना के लिए दी राशि के भी दावेदार कम होने लगे हैं।
मंगलवार को पंजाब के बैंकों के उच्चाधिकारियों की बैठक में जारी विवरण में ये खुलासे हुए हैं। इस बैठक में पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल और राज्य के प्रिंसीपल सचिव अनिरुद्ध तिवारी भी शामिल थे। इसी समीक्षा बैठक में ही किसानों को क़र्ज़ देने में हाथ खींचने का मुद्दा उठा। पंजाब सरकार द्वारा किसानों की क़र्ज़ माफ़ी योजना के बाद किसानों ने बैंकों का कर्ज़ा लौटाना कम कर दिया था। परिणामस्वरूप बैंकों ने भी किसानों को क़र्ज़ देने में हाथ खींचने शुरू कर दिए। सितम्बर 2017 में बैंकों को 77141 करोड़ का क़र्ज़ दिया, जो सितम्बर 2018 में 72063 करोड़ और सितम्बर 2019 तक 71763 करोड़ रुपये तक आ गया जबकि इसी दौरान पंजाब सरकार ने किसानों के क़र्ज़ की राशि भी अदा की।
बैंकों की प्रांतीय स्तर की इस बैठक में तब चुप्पी छा गयी ,जब वित्त मंत्री में उन बैंकों को जवाब देने के लिए कहा , जिनके पास किसानों को क़र्ज़ माफ़ी योजना के तहत बांटने वाली राशि अभी तक पड़ी रही। इस पर एक बैंक ने हां की तो एक ने न की और इससे पहले कि बैंकों की फिर से खिंचाई होती तो बैंकों ने एक सप्ताह का समय ले लिया।
वित्त मंत्री बादल ने बैंकों को इस बात के लिए भी फटकार लगाई कि बैंकों और अधिकारियों ने महज अपने फायदे किसानों को उनकी क्षमता से अधिक ऋण देकर असंतुलन पैदा कर दिया जो कि गलत बात थी। बैंकों को अपनी जिम्मेदारी निभाने की सलाह दी गई। राज्य में अब 29.16 कृषि और किसान खातों पर 79, 505 करोड़ रुपये का ऋण है। परन्तु किसानों की तरफ डिफाल्टर राशि कुछ बढ़ कर 9049 करोड़ रुपये हो गई है।