पुणे, 02 अगस्त (हि.स.)। महाराष्ट्र के पुणे जिले के पिंपरी-चिंचवड़ की निवासी वेदिका शिंदे ने रविवार (01 अगस्त) को अंतिम सांस ली। एक वर्षीय वेदिका शिंदे जेनेटिक स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नामक दुर्लभ बीमारी से ग्रसित थी। क्राऊड फंडिंग के जरिए पैसे इकट्ठा कर वेदिका को 16 करोड रुपये का इंजेक्शन लगवाया गया था। इसके बावजूद वेदिका को नहीं बचाया जा सका।
वेदिका शिंदे जेनेटिक स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नामक दुर्लभ बीमारी से ग्रसित थी। वेदिका की बीमारी का पता चलने के बाद माता-पिता घबरा गए थे। इसके इलाज के लिए 16 करोड़ का इंजेक्शन खरीदना पड़ता है। शिंदे परिवार के पास इतना पैसा नहीं था। नतीजतन शिंदे परिवार ने वेदिका के इलाज के लिए क्राउड फंडिंग के जरिए 16 करोड़ रुपये जमा किए थे। पुणे के प्राइवेट अस्पताल में जून महीने में वेदिका को ज़ोलगेन्स्मा नाम की महंगी वैक्सीन दी गई। इसके बाद परिवार में उम्मीद जगी थी कि वेदिका बच जाएगी लेकिन रविवार शाम को वेदिका को सांस लेने में तकलीफ हुई। इसके बाद उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया लेकिन इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।
जेनेटिक स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी शरीर में एसएमए-1 जीन की कमी से होती है। इससे बच्चे की मांसपेशियां कमजोर होती हैं। शरीर में पानी की कमी होने लगती है। स्तनपान करने में और सांस लेने में दिक्कत होती है। इस बीमारी में बच्चा धीरे-धीरे पूरी तरह निष्क्रिय हो जाता है और उसकी मृत्यु हो जाती है। ब्रिटेन में हर साल करीब 60 बच्चों को यह बीमारी होती है लेकिन ब्रिटेन में इसकी दवाई या इंजेक्शन तैयार नहीं होती। इसके इलाज के लिए उपयोग में आने वाले इंजेक्शन का नाम ज़ोलगेन्स्मा है। यह ब्रिटेन में अमेरिका, जर्मनी और जापान से मंगवाए जाते हैं। इस बीमारी से ग्रसित बच्चे को इस इंजेक्शन का एक ही डोज देना काफी होता है। यह इंजेक्शन जीन थेरेपी का काम करता है। जीन थेरेपी मेडिकल जगत में एक बड़ी खोज है। कुल मिलाकर यह इंजेक्शन दुर्लभ और बेहद महंगा है।