नेल्लोरे (आंध्र प्रदेश), 26 नवम्बर (हि.स.)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 27 नवम्बर को लगभग 27 मिनट में 14 उपग्रहों को प्रक्षेपण करने का इतिहास रचने की तैयारी में है। कार्टोसैट-3 के प्रक्षेपण के लिये उल्टी गिनती शुरू हो गयी है। इसके सफल प्रक्षेपण के बाद दिन-रात किसी भी मौसम में पृथ्वी की उच्च गुणवत्ता के साथ फोटो उपलब्ध करा सकेगा।
बुधवार को श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी-सी47 के जरिए लॉन्च किया जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के कार्टोसैट-3 सैटेलाइट के प्रक्षेपण के लिये उल्टी गिनती शुरू हो गई है। इसका 27 नवम्बर को सुबह 9.28 मिनट पर प्रक्षेपण होगा। इसके साथ 13 अमेरिकी सैटेलाइट भी होंगे। 1,625 किग्रा का कार्टोसैट-3 उपग्रह का मुख्य सामान भारत का होगा। न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड को शुल्क भुगतान किए जाने के बाद इसरो की नई वाणिज्यिक शाखा के 13 अमेरिकी नैनोसेटलाइट्स सवारी को साझा करेंगे। अपनी उड़ान के पहले 17 मिनट में पीएसएलवी रॉकेट पहले कार्टो स्टेट की आर्बिट में परिक्रमा करेगा, जिसमें पांच साल का एक मिशन होगा।
कार्टोसैट -3 एक तीसरी पीढ़ी का फुर्तीला, उन्नत उपग्रह है, जिसमें उच्च-रिजॉल्यूशन इमेजिंग क्षमता है। यह अंतरिक्ष से भारत की सीमाओं की निगरानी करने में भी मदद करेगा।। यह उपग्रह उच्च गुणवत्ता वाले फोटो उपलब्ध करायेगा। इससे ग्रामीण संसाधन, शहरी नियोजन, तटीय भूमि उपयोग, बुनियादी ढांचे के विकास, भूमि कवर आदि की जरूरतों को पूरा करेगा। कार्टोसैट उपग्रह से किसी भी मौसम में धरती की तस्वीरें ली जा सकती हैं। इसके जरिए आसमान से दिन और रात दोनों समय जमीन से एक फीट की ऊंचाई तक की साफ तस्वीरें ली जा सकती हैं।
इस बीच मंगलवार की सुबह इसरो प्रमुख डॉ. के सिवन ने भारत के उपग्रह ‘कार्टोसैट-3′ के प्रक्षेपण से पहले तिरुपति स्थित तिरुमला मंदिर में भगवान वेंकटेश की पूजा-अर्चना की। पूजा-अर्चना के बाद सिवन ने कहा है कि चंद्रयान-2′ का आर्बिटर अच्छी तरह काम कर रहा है और चंद्रमा के बारे में बहुत सी सूचनाएं भेज रहा है।