रायपुर, 09 मार्च (हि.स.) । अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में अब कृत्रिम अंगों के निर्माण की दिशा में पहल की गई है। यहां के फिजिकल मेडिसिन एंड रिहेब्लिटेशन विभाग (पीएमआर) में प्रोस्थेसिस एंड आर्थोसिस कार्यशाला का उद्घाटन मंगलवार को किया गया है। इसकी मदद से विभिन्न बीमारियों से शारीरिक क्षमता को खोने वाले और दुर्घटना का शिकार रोगियों के लिए कृत्रिम अंगों का निर्माण किया जाएगा। पहले दिन यहां पांच रोगियों को कृत्रिम अंग प्रदान कर उन्हें पुनः सामाजिक सम्मान के साथ जीवन व्यतीत करने का संदेश दिया गया।
निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए इसे पीएमआर के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों में दिव्यांग रोगी भी सुचारू जीवन यापन के लिए संपर्क करते हैं। इन्हें पीएमआर विभाग की ओर से विभिन्न सामाजिक योजनाओं के अंतर्गत कृत्रिम अंग बहुत ही कम लागत पर उपब्ध कराए जा सकेंगे। उन्होंने जयपुर फुट का जिक्र करते हुए छत्तीसगढ़ में इस प्रकार की कार्यशाला की आवश्यकता बताई। इसकी मदद से प्रदेश के अन्य चिकित्साकर्मियों को भी प्रशिक्षण प्रदान किया जा सकेगा। उनका कहना था कि दिव्यांगजनों को सम्मानपूर्वक जीवन व्यतीत करने के लिए कार्यशाला काफी मददगार होगी। इस अवसर पर उन्होंने सेरिब्रल पाल्सी से पीड़ित दो बच्चियों, पोलियो से ग्रस्त एक छात्रा और दो दिव्यांगजनों को भी कृत्रिम अंग प्रदान किए।
विभागाध्यक्ष डॉ. जयदीप नंदी ने बताया कि विभाग में बड़ी संख्या में दिव्यांगजन नियमित दिनचर्या व्यतीत करने के लिए चिकित्सकों से संपर्क करते हैं। कार्यशाला बन जाने के बाद अब इन रोगियों को यहीं पर कृत्रिम अंग बनाकर दिए जा सकेंगे। इसके लिए एक लघु कार्यशाला बनाई गई है। इसके बन जाने से रोगियों को कई सुविधाएं एम्स में ही प्राप्त हो सकेंगी। इस अवसर पर प्रो. मनीषा रूइकर, डॉ. अजॉय बेहरा, डॉ. अंजन गिरी, डॉ. रमेश चंद्राकर, विभाग के बीरेश कुमार, डॉ. रौनकएवं डॉ. सुशील आदि उपस्थित थे।