प्रधानमंत्री मुख्यमंत्रियों से बोले, बढ़ाना होगा हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर

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सूचना प्रणाली, भावनात्मक सपोर्ट और सार्वजनिक भागीदारी पर भी देना होगा जोर



नई दिल्ली, 17 जून (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कोरोना प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से चर्चा के दौरान कहा कि लॉकडाउन में लाखों लोगों को ट्रेस किया गया। देश का हर नागरिक वायरस के प्रति पहले से ज्यादा सचेत हुआ है। इसके बावजूद हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर, सूचना प्रणाली, सार्वजनिक भागीदारी पर इसी तरह बल देना होगा। उन्होंने कहा कि हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करना सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। टेस्टिंग पर जोर देना होगा ताकि संक्रमित को ट्रेस कर सकें और इलाज किया जा सके।
कोरोना संकट से निपटने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को लगातार दूसरे दिन महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली समेत सबसे ज्यादा प्रभावित 15 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग पर बैठक की। इस बैठक में  पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शामिल नहीं हुई। उनकी जगह एक वरिष्ठ अधिकारी को भेजा गया। कांफ्रेंसिंग की शुरुआत में प्रधानमंत्री और सभी मुख्यमंत्रियों ने भारत-चीन सीमा पर शहीद हुए जवानों को नमन किया और दो मिनट का मौन भी रखा। प्रधानमंत्री ने कहा कि अनलाक-1 के बाद यह पहली मुलाकात है। बीते 2-3 महीने में काफी संख्या में क्वारंटीन और आइसोलेशन सेंटर्स का निर्माण हुआ है। इसकी गति और बढ़ानी होगी ताकि कहीं पर भी मरीजों को बेड की दिक्कत न आए।
उन्होंने कहा कि महामारी से निपटने में सही समय पर सही सूचना का बहुत महत्व होता है। इसलिए यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि  है कि हेल्पलाइनें मददगार हो, मजबूर नहीं। जिस तरह से मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ हॉस्पिटल में कोरोना से जंग लड़ रहे हैं, उसी हिसाब से अनुभवी डाक्टरों की बड़ी टीमें तैयार करनी होंगी जो टेलीमेडीसिन के जरिए  बीमारों को गाइड कर सके, उन्हें सही सूचना दे सके। इसके अलावा युवा स्वयंसेवकों की फौज भी जुटानी होगी ताकि पब्लिक के लिए प्रभावी रूप से हेल्पलाइन चलाया जा सकें। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई का एक इमोशनल पहलू भी है। लोगों में संक्रमण का जो डर पैदा हुआ है उससे बाहर निकालने का प्रयास करना होगा। यह विश्वास दिलाना है कि कोरोना की संख्या भले ही तेजी से बढ़ रही है, लेकिन उसे परास्त करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है। इसलिए किसी को कोरोना हो भी गया है तो घबराना नहीं चाहिए।
जो भी कोरोना वारियर्स हैं, डॉक्टर हैं या अन्य स्वास्थ्यकर्मी हैं उनके लिए ज़रूरी सुविधाओं को सुनिश्चित करना प्राथमिकता में होना चाहिए। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में हर क्षेत्र से जुड़े लोगों को निरंतर प्रोत्साहित किया। दफ्तरों में मास्क या फेसकवर, फिजिकल डिस्टेंसिंग और सेनेटाइजेशन की प्रक्रिया को बार-बार लोगों को याद दिलाना चाहिए। इसमें किसी को लापरवाही नहीं करने देना है।  उन्होंने कहा कि अनेक राज्य कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बहुत सराहनीय काम कर रहे हैं।  इन राज्यों की सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना जरूरी है। हर राज्य अपने अनुभव और अपने सुझाव दें ताकि आने वाले दिनों में एक बेहतर रणनीति बनाने में मदद मिल सके।

 


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