‘एनएसएस पुरस्कार विजेताओं में बेटियों की 33% से अधिक भागीदारी संतोषप्रद’

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14 लड़कियों सहित 42 स्वयंसेवकों को मिला ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ पुरस्कार पुरस्कार विजेता युवा पीढ़ी के लिए बनेंगे प्रेरणा स्रोत: रिजिजू



नई दिल्ली, 24 सितम्बर (हि.स.)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को वर्ष 2018-19 के लिए 14 लड़कियों सहित 42 स्वयंसेवकों को ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ पुरस्कार प्रदान किये। पुरस्कार विजेताओं में लड़कियों की 33 प्रतिशत से अधिक भागीदारी को संतोषप्रद बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि हमारी बेटियां भी राष्ट्र-सेवा में अमूल्य योगदान देती हैं।

राष्ट्रपति कोविंद ने राष्ट्रपति भवन से वर्चुअल माध्यम से विज्ञान भवन में आयोजित पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पुरस्कार विजेताओं की सूची में शामिल बेटियों ने अपनी असाधारण निष्ठा, सेवा-भावना और साहस का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि हमारी ये बेटियां उस परंपरा की याद दिलाती हैं जिसमें सावित्री-बाई फुले, कस्तूरबा गांधी और मदर टेरेसा जैसे सेवा-भावना के महान और प्रेरक उदाहरण मौजूद हैं। राष्ट्रपति ने पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी स्वयंसेवकों को बधाई देते हुए कहा कि यह उनके लिए हर्ष का विषय है कि आज समारोह में सेवा-भावना और सामाजिक प्रतिबद्धता से भरपूर युवाओं से बात करने का मौका मिला।

महात्मा गांधी के आदर्शों से युवाओं को जोड़ने वाली एनएसएस आज भी प्रासंगिक:

एनएसएस के प्रेरणा-स्रोत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सेवा का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी ने केवल मानवता ही नहीं बल्कि पशु-पक्षियों और प्रकृति के प्रति भी सेवा और करुणा की भावना पर बल दिया था और अपना सम्पूर्ण जीवन, सेवा के लिए समर्पित कर दिया था। बापू ने कहा था, “ईश्वर की पहचान सेवा से ही होगी, यह मानकर मैंने सेवा-धर्म स्वीकार किया था।”

उन्होंने कहा, गांधी के आदर्शों से युवा पीढ़ी को जोड़ने के लिए ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ की शुरुआत, उनकी जन्म-शताब्दी के उपलक्ष में सन् 1969 में की गयी थी। यह योजना, आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी पांच दशक पहले थी।

कॉलेज और विश्वविद्यालयों के 40 लाख युवा एनएसएस से जुड़े:

राष्ट्रपति ने कहा, ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ का उद्देश्य है ‘सेवा के माध्यम से शिक्षा।’ सेवा के द्वारा युवा स्वयं-सेवकों के चरित्र का निर्माण तथा व्यक्तित्व का विकास होता है। इस योजना का आदर्श वाक्य है, “मैं नहीं, बल्कि आप” इसका भाव है, अपने हित की जगह दूसरे के हित पर ध्यान देना। उन्होंने कहा कि यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि अनेक तकनीकी संस्थानों, कॉलेजों तथा विश्‍वविद्यालयों के लगभग 40 लाख युवा विद्यार्थी ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ से जुड़कर, समाज और राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं। अब तक लगभग सवा चार करोड़ विद्यार्थी ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ के माध्यम से अपना योगदान दे चुके हैं।

कोरोना के प्रति जागरुकता में एनएसएस स्वयंसेवकों की भूमिका सराहनीय:

कोरोना महामारी में एनएसएस कार्यकर्ताओं के सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के विरुद्ध संघर्ष में ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ के स्वयंसेवकों ने सोशल-डिस्टेन्सिंग तथा मास्क के प्रयोग के लिए जागरूक बनाया है। क्वारंटीन के दौरान लोगों तक खाद्य-सामग्री एवं अन्य उपयोगी वस्तुएं पहुंचाने में योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि इन युवाओं ने कोविड-19 के कारणों और उसकी रोकथाम के सम्बन्ध में जानकारी का प्रचार-प्रसार करने में सरकार एवं गैर सरकारी संगठनों को अनेक प्रकार से सहायता प्रदान की है। इन स्वयं-सेवकों ने जन-सेवा की नई मिसाल प्रस्तुत की है। यह सराहनीय है।

कोविंद ने कहा कि भूकम्प और बाढ़ जैसी राष्‍ट्रीय आपदाओं के दौरान ‘राष्‍ट्रीय सेवा योजना’ के स्‍वयं-सेवक और कार्यकर्ता समाज की सहायता के लिए सदा तत्पर रहे हैं। विगत कुछ वर्षों में उन्‍होंने बाढ़ एवं जलभराव के दौरान राहत, बचाव और पुनर्वास कार्यक्रमों को कार्यान्‍वित करने में अथक प्रयास किए हैं।

पुरस्कार विजेता युवा पीढ़ी के लिए बनेंगे प्रेरणा स्रोत: रिजिजू

केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार विजेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आप सब युवा स्‍वयंसेवक ही हमारा आने वाला कल हैं। मुझे आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्‍वास है कि सभी युवा पुरस्‍कार विजेता आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत बनेंगे और अपने सामाजिक कार्यों को जारी रखते हुए भारत का नाम रोशन करेंगे।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2018-19 के लिए राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) पुरस्कार 3 विभिन्न श्रेणियों में 42 विजेताओं को दिया गया। इसमें विश्वविद्यालय/ +2 परिषद, एनएसएस इकाईयां और उनके कार्यक्रम अधिकारी और एनएसएस स्वयंसेवक शामिल हैं।

 


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