राष्ट्रपति ने स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वालों को कड़ी सजा वाले अध्यादेश को दी मंजूरी

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अब डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला बना गैर जमानती अपराध -सात साल की जेल और 5 लाख तक जुर्माना भी 



नई दिल्ली, 23 अप्रैल (हि.स.)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे स्वास्थ्यकर्मियों पर हमलों की पृष्ठभूमि में गुरुवार को महामारी रोग (संशोधन) अधिनियम2020 को लागू करने की मंजूरी दे दी है। उनके हस्ताक्षर के बाद अधिसूचना जारी हो गई और कानून लागू हो गया है। इसके तहत स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला अब गैर-जमानती अपराध बन गया है। दोषी को सात साल की जेल और पांच लाख तक का जुर्माना भी देना पड़ सकता है।
केंद्र सरकार ने कोरोना (कोविड-19) महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं में लगे चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों पर हो रहे हिंसक हमलों और दुर्व्यवहार की घटनाओं के मद्देनजर 123 साल पुराने महामारी रोग अधिनियम, 1897 में संशोधन करने का कदम उठाया है। इस अध्यादेश के तहत स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला ने केवल गैरजमानती अपराध होगा बल्कि दोषी पाए जाने पर हमलावर को तीन महीने से पांच साल तक की सजा भी हो सकती है। साथ ही 50 हजार रुपये से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने पर तीन महीने से पांच साल तक की सजा और 50 हजार से दो लाख रुपये तक का जुर्माना होगा। अगर गंभीर नुकसान हुआ है तो छह महीने से सात साल की सजा का प्रावधान और एक लाख से पांच लाख रुपये तक का जुर्माना देना होगा। चिकित्साकर्मियों पर हमले के मामले की जांच 30 दिन में पूरी करनी होगी। अगर स्वास्थ्य कर्मियों के वाहनों या क्लीनिक को नुकसान पहुंचाया गया तो अपराधियों से क्षतिग्रस्त की गई संपत्ति का बाजार मूल्य से दोगुना दाम मुआवजे के रूप में वसूला जाएगा। अध्यादेश स्वास्थ्य सेवाकर्मियों के साथ हिंसा और उनके रहने और काम करने के परिसर की सुरक्षा में मदद करेगा।

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