राष्ट्रपति ने 18 महिलाओं सहित 47 शिक्षकों को दिए ‘राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार’

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 डिजिटल कौशल को अपग्रेड और अपडेट करें शिक्षक : राष्ट्रपति



नई दिल्ली, 05 सितम्बर (हि.स.)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को 18 महिलाओं और दो दिव्यांगों सहित कुल 47 उत्कृष्ट शिक्षकों को ‘राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार’ प्रदान किए। कोविड-19 के कारण पहली बार शिक्षक दिवस के मौके पर शिक्षकों को वर्चुअल माध्यम से सम्मानित किया गया।
राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित होने वालों में दिल्ली के माउंट आबू स्कूल, रोहिणी की प्रिंसिपल ज्योति अरोड़ा और एमसीडी स्कूल, सराय पीपल थला-।। के शिक्षक सुरेन्द्र सिंह भी शामिल हैं।
पुरस्कार प्राप्त करने वालों में 40% महिलाएं
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अपने संबोधन में पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी और स्कूली शिक्षा में गुणात्मक रूप से सुधार लाने के लिए शिक्षकों द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि 47 शिक्षकों में से 18 यानि लगभग 40 प्रतिशत महिलाएं हैं।
डिजिटल प्रौद्योगिकी पढ़ाई का महत्वपूर्ण माध्यम
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण देश और दुनिया में स्कूल और कॉलेज या तो बंद हैं या प्रभावित हैं। ऐसी स्थिति में डिजिटल प्रौद्योगिकी पढ़ाई का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि आप में से हर कोई डिजिटल तकनीकों का उपयोग करने के लिए अपने कौशल को अपग्रेड और अपडेट करें जिससे आपके शिक्षण की प्रभावशीलता और अधिक बढ़े।
अभिभावकों से सहयोग की अपील
राष्ट्रपति ने ऑनलाइन शिक्षा को प्रभावी बनाने के लिए अभिभावकों से भी सहयोग की अपील करते हुए कहा कि वे बच्चों के साथ इस प्रक्रिया में सहयोगी बनें और उन्हें रुचि के साथ सीखने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि हमें यह भी सुनिश्चित करना है कि डिजिटल माध्यम से पढ़ाई करने के साधन ग्रामीण, आदिवासी और दूरदराज के क्षेत्रों में भी हर वर्ग के बच्चों को प्राप्त हो सकें।
नई शिक्षा नीति को सफल बनाने का जिम्मा शिक्षकों पर
उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ को सफल बनाने में शिक्षकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। शिक्षा व्यवस्था में किये जा रहे बुनियादी बदलावों के केंद्र में अवश्य शिक्षक ही होने चाहिए। इस नीति के अनुसार हर स्तर पर शिक्षण के पेशे में सबसे होनहार लोगों का चयन करने के प्रयास करने होंगे। साथ ही शिक्षकों की स्वायत्तता व उनके सम्मानपूर्वक स्थान को सुनिचित करने के प्रयास जारी रखने होंगे।
कोविंद ने कहा कि अच्छे भवन, महंगे उपकरण या सुविधाओं से स्कूल नहीं बनता बल्कि एक अच्छे स्कूल को बनाने में शिक्षकों की निष्ठा और समर्पण ही निर्णायक सिद्ध होते हैं। शिक्षक ही सच्चे राष्ट्र निर्माता हैं जो प्रबुद्ध नागरिकों का विकास करने के लिए चरित्र-निर्माण की नींव हमारे बेटे-बेटियों में डालते हैं। शिक्षक की वास्तविक सफलता है विद्यार्थी को अच्छा इंसान बनाना – जो तर्कसंगत विचार और कार्य करने में सक्षम हो, जिसमें करुणा और सहानुभूति, साहस और विवेक, रचनात्मकता, वैज्ञानिक चिंतन और नैतिक मूल्यों का समन्वय हो।
राष्ट्रपति ने पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता देते हुए कहा कि बच्चों को शिक्षित बनाने में उनकी कड़ी मेहनत, समर्पण और प्रतिबद्धता की सराहनीय है।
निशंक ने शिक्षकों को दिया पांच ‘टी’ और चार ‘क्यू’ का मंत्र
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने उद्घाटन भाषण में कहा कि शिक्षकों के लिए पांच ‘टी’ अर्थात ट्रांसफॉर्म, टैलेंट, टेंपरामेंट, ट्रेजर और ट्रेनिंग आवश्यक है। उन्होंने कहा कि शिक्षक को परिवर्तनकारी होने के साथ ही प्रतिभा की पहचान करने वाला होना चाहिए। वह सहनशीलता के साथ ही ज्ञान का भंडार हो। इतना ही नहीं वह संस्थागत और व्यक्तिगत विकास की दृष्टि से भी सक्षम होना चाहिए।
उन्होंने चार ‘क्यू’ अर्थात आई क्यू, ई क्यू, एस क्यू और टी क्यू के सिद्धांत का उल्लेख करते हुए कहा कि शिक्षकों को तीन बिंदुओं को लेकर आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षक को बुद्धिमता, भावनात्मकता, आध्यात्मिकता और तकनीकी क्षेत्र में आगे बढ़ना होगा। निशंक ने कहा गुरु शिष्य परंपरा हमारी पहचान रही है। अच्छे जीवन के लिए अच्छी शिक्षा होना अनिवार्य है। गुरु राष्ट्र निर्माण में योगदान देता है। नई शिक्षा नीति के संबंध में निशंक ने कहा कि नई शिक्षा नीति हमें ज्ञान की महाशक्ति बनाएगी।
पुरस्कार पाने वालों में 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अलावा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई), दिल्ली एटॉमिक एनर्जी एजुकेशन बोर्ड, नवोदय विद्यालय समिति, एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय और काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन के शिक्षक भी शामिल हैं।
इस साल गुजरात और उत्तर प्रदेश से 3-3 शिक्षकों को पुरस्कृत किया गया। इसके अलावा दिल्ली, मध्य प्रदेश, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, जम्मू कश्मीर, सिक्किम, झारखंड, कर्नाटक और तमिलनाडु से दो-दो शिक्षकों को सम्मानित किया। वहीं हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड राजस्थान गोवा लद्दाख तेलंगाना छत्तीसगढ़ मेघालय, त्रिपुरा, असम, केरल, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और पुडुचेरी से एक-एक शिक्षक को सम्मानित किया गया।

 


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