‘जम्मू-कश्मीर में युवाओं के सपने साकार करेगी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति’
नई दिल्ली, 20 सितम्बर (हि.स.)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 की सराहना करते हुए कहा कि यह जम्मू-कश्मीर के युवाओं को उनकी वास्तविक क्षमता का एहसास कराकर उनके सपनों को साकार करने में मददगार बनेगी।
राष्ट्रपति कोविंद आज जम्मू-कश्मीर में एनईपी-2020 के कार्यान्वयन पर आयोजित एक सम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और विश्वविद्यालयों के कुलपति और कॉलेजों के प्राचार्य भी मौजूद थे। राष्ट्रपति ने कहा कि जम्मू-कश्मीर बेहद प्रतिभाशाली लोगों की भूमि है। इसके युवाओं ने हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। आज, जब हम जम्मू-कश्मीर में एक नई सुबह देख रहे हैं, हम चाहते हैं कि इस क्षेत्र के युवा अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर बदलाव के अग्रदूत बनें। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति उन्हें अपनी वास्तविक क्षमता का एहसास करने और उनके सपनों को सच करने में मदद करेगी।
कोविंद ने कहा कि उनका सपना जम्मू-कश्मीर को ज्ञान, उद्यम, नवाचार और कौशल विकास के केंद्र के रूप में उभरता देखना है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि इस सम्मेलन के माध्यम से आप इस नीति को अक्षर और भाव में लागू करके इस स्वर्ग को ज्ञान, नवाचार और सीखने का एक केंद्र बनाने का दृढ़ प्रयास करेंगे। युवाओं को सामाजिक बदलाव का सशक्त माध्यम बताते हुए कहा कि राष्ट्रपति ने कहा कि उनका यह दृढ़ विश्वास है कि परिवर्तन का सबसे बड़ा उत्प्रेरक शिक्षा है और युवा सामाजिक परिवर्तन का सबसे शक्तिशाली माध्यम है। उन्होंने कहा कि और जब-जब ये दोनों ताकतें एक साथ आई हैं, इसने इतिहास को बदल दिया है।
राष्ट्रपति भवन में प्रत्येक वर्ष जम्मू-कश्मीर के स्कूली बच्चों से मुलाकात का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वह अपने अनुभव के आधार पर दृढ़ विश्वास के साथ कह सकते हैं कि जम्मू-कश्मीर अत्यंत बुद्धिमान, प्रतिभाशाली और इनोवेटिव (नवाचार) बच्चों का भंडार है। उन्होंने कहा कि अनादिकाल से जम्मू और कश्मीर साहित्य और शिक्षा, विज्ञान और अध्यात्म का केंद्र रहा है।
महान कश्मीरी विद्वान और कवि कल्हण द्वारा रचित संस्कृत गंथ ‘राजतरंगिणी’ का हवाला देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि स्वर्ग में जिन चीज़ों को खोजना मुश्किल है, वे यहां आम हैं। जम्मू-कश्मीर समृद्ध और विविध सांस्कृतिक परंपराओं की भूमि है। हिंदू धर्म से लेकर बौद्ध धर्म तक सूफी इस्लाम तक, सभी विश्वासों और मान्यताओं ने इस भूमि के सांस्कृतिक लोकाचार में घर पाया है। यह शांतिपूर्ण और साझा सह-अस्तित्व यहां के लोगों के जीवन में प्रकट होता है।