नई दिल्ली, 17 दिसम्बर (हि.स.)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को केंद्रीय विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों का आह्वान करते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों को देश और समाज के सामने आने वाली विशिष्ट चुनौतियों के समाधान तलाशने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वतंत्र अभिव्यक्ति और विचारों का पोषण करने वाले स्थानों के रूप में उभरना चाहिए।
राष्ट्रपति की इस टिप्पणी को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति भवन में केन्द्रीय विश्वविश्वद्यालयों के कुलपतियों और भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान तथा बेंगलूरू स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान के निदेशकों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में राष्ट्रपति ने पांचवे विजिटर पुरस्कार प्रदान किए। ये पुरस्कार सामाजिक विज्ञान, कला, जैव प्रौद्योगिकी, नैनो विज्ञान और माइक्रोबॉयोलॉजी सहित विभिन्न विषयों में नवीन अनुसंधान कार्यों के लिए दिए गए।
सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को देश और समाज के सामने आने वाली विशिष्ट चुनौतियों का समाधान तलाशने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इनमें से कई चुनौतियों के लिए रचनात्मक और नवीन समाधानों की आवश्यकता होती है। यह सुनिश्चित करना विश्वविद्यालयों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि उनके उनका सर्वोपरि कर्तव्य है कि उनके परिसर ऐसे स्थान के रूप में उभरें जो स्वतंत्र अभिव्यक्ति और विचारों का पोषण कर सकें, जहां प्रयोग को प्रोत्साहित किया जाए, विफलता का उपहास न हो और ऐसी विफलताओं को सीखने के अवसर के रूप में देखा जाए।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, विश्वविद्यालयों को छात्रों को उन समस्याओं को उजागर करने के लिए प्रयोगशालाएं बनना चाहिए, जिन्हें राष्ट्र-निर्माण के कारण संबोधित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को ऐसी प्रयोगशालाओं के रूप में काम करना चाहिए जो छात्रों को राष्ट्र निर्माण में आने वाली बाधाओं के निराकरण के लिए तैयार कर सकें। उन्होंने कहा कि छात्रों को सामुदायिक गतिविधियों से जोड़ने का प्रयास होना चाहिए। सम्मेलन के बाद, अनुसंधान, नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने जैसे मुद्दों पर संस्थानों के प्रमुखों के विभिन्न उप समूहों द्वारा प्रस्तुतियां दी गईं।