भोपाल, 23 नवम्बर (हि.स.)। महाराष्ट्र में राजनीतिक परिदृश्य की दृष्टि से जो किसी ने सोचा नहीं था, ऐसा अचानक हो जाने और सुबह-सुबह भाजपा के साथ एनसीपी गठबंधन से सरकार बनने का जो घटनाक्रम हुआ, उसके बाद से कांग्रेस पूरी तरह डरी-सहमी हुई नजर आ रही है। शायद, उसे अब लगने लगा है कि जिस तरह से महाराष्ट्र के राज्यपाल ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार को उपमुख्यमंत्री की शपथ दिलाई, जिसकी किसी को कानो-कान खबर तक ना हो सकी । ऐसे में अब उनके (कांग्रेस) विधायक भाजपा-एनसीपी गठबंधन को अपना समर्थन ना दे दें । कहीं ऐसा ना हो कि जब सदन में बहुमत के लिए विधायकों की पार्टी लाइन पर गिनती हो, तो संख्या का गणित ही बिगड़ जाए । इसलिए कांग्रेस चाहती है कि उनके कई विधायक अप्रत्यक्ष रूप से दूर रहकर भाजपा-एनसीपी को समर्थन देने के लिए सदन में उपस्थिति ही ना हों। कांग्रेस से जुड़े सूत्रों ने भीतरी तैयारी का राज खोला है और कहा है कि भोपाल में होटल तय किये जाने के लिए खोजबीन चल रही है ।
कहा जा रहा है कि इस डर के चलते अब कांग्रेस ने नई रणनीति बनाई है । सभी विधायकों को पार्टी लाइन से दूर नहीं होने देने और उन्हें संगठन स्तर पर अपने से जोड़े रखने के लिए कांग्रेस ने सभी को महाराष्ट्र से लगे राज्य मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में शिफ्ट करने की तैयारी कर ली है। हालांकि मध्य प्रदेश के कांग्रेसी नेताओं से जब इस सम्बन्ध में बात करने की कोशिश की गयी तब सभी नेता जवाब देने से बचते नजर आए लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के हवाले से आ रही खबरों को सही माना जाए तो महाराष्ट्र के सभी कांग्रेसी विधायक आगामी 2 दिन में भोपाल भेज दिए जाएंगे । उन्हें विशेष सुरक्षा में रखे जाने की तैयारियां गुपचुप तरीके से भोपाल में की जा रही हैं ।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में बड़ा सियासी उलटफेर एकाएक हुआ और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने आज सुबह राजभवन में देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण के बाद सूबे के दोबारा मुख्यमंत्री बनने वाले फडणवीस ने मीडियाकर्मियों से कहा कि सूबे में खिचड़ी सरकार नहीं चाहिए थी। जनता ने भाजपा और शिवसेना को सरकार बनाने के लिए जनादेश दिया था लेकिन शिवसेना पीछे हट गई। इसलिए राज्य में स्थाई सरकार बनाने के क्रम में एनसीपी अब भाजपा के साथ आई है।
गौरतलब है कि 24 अक्टूबर, 2019 को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद भाजपा के साथ सरकार बनाने से शिवसेना पीछे हट गई थी, इसलिए 12 नवम्बर को राज्य में विधानसभा को निलंबित कर राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा था जो अभी महाराष्ट्र में प्रभावी है ।