राजस्थान में गहराया बिजली संकट, घोषित-अघोषित बिजली कटौती शुरू
जयपुर, 08 अक्टूबर (हि.स.)। मानसून की हो रही विदाई एवं लगातार गर्मी बढने के कारण प्रदेश में बिजली संकट गहराने लगा है। बिजली उत्पादन में काम आने वाले कोयले की खरीदी समय पर नहीं हो पाई, इससे कोयले की कमी आ गई है। ऐसे में प्रदेश के अधिकांश जिलों में घोषित और अघोषित बिजली कटौती शुरू हो गई है। राज्य सरकार खुद भी स्वीकार कर रही है कि प्रदेश में बिजली संकट बढ़ा हुआ है। विद्युत संकट को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उपभोक्ताओं से बिजली बचत के तरीके अपनाने की अपील की है।
विद्युत वितरण निगमों के अध्यक्ष भास्कर ए. सावंत ने बताया की बिजली की मांग में तीन हजार पांच सौ मेगावाट की बढोतरी हुई हैं। बिजली की मांग नौ हजार मेगावाट के लगभग चल रही थी वह अब बारह हजार पांच सौ मेगावाट तक पहुंच गई है। प्रदेश में दो हजार लाख यूनिट प्रतिदिन चल रही विद्युत खपत भी बढकर 2400 लाख यूनिट प्रतिदिन हो गई हैं। कोल इंडिया से कोयले की कम आपूर्ति की वजह से प्रदेश के थर्मल प्लांटों में विद्युत उत्पादन कम हो रहा हैं।
उन्होंने बताया कि कोल इंडिया द्वारा कोयले की पर्याप्त आपूर्ति नही होने की वजह से कोयले की कमी के कारण सूरतगढ थर्मल की ढाई सौ मेगावाट की पांच इकाइयां बन्द है तथा छबड़ा थर्मल की ढाई सौ मेगावाट की दो इकाइयों के लिए कोल इण्डिया द्वारा काफी समय से कोयले की आपूर्ति नही की जा रही है। इसके अलावा अन्य तकनीकी कारणों से छबड़ा की छह सौ मेगावाट की एक इकाई, कालीसिंध की छह सौ मेगावाट की एक इकाई व छबड़ा थर्मल की ढाई सौ मेगावाट की तीन इकाइयां बन्द हैं। इन तकनीकी कारणों का शीघ्र निराकरण कर बन्द इकाइयों से विद्युत उत्पादन प्रारम्भ करने के प्रयास किए जा रहे है। उन्होंने बताया कि उच्चस्तरीय वार्ता के पश्चात् एक अक्टूबर को भारत सरकार के कोयला मंत्रालय के सब-ग्रुप ने सात कोयले की रेक प्रतिदिन देने का निर्णय लिया था लेकिन राजस्थान को एक से पांच अक्टूबर के मध्य कोयले की केवल 4 रेक प्रतिदिन ही मिल पाई है।
सावंत ने बताया कि राजस्थान सरकार के स्तर पर लगातार प्रयास किए जा रहे है, जिससे प्रदेश के थर्मल प्लांटों को कोल इंण्डिया से पर्याप्त कोयले की आपूर्ति हो सके ताकि प्रदेश के पावर प्लाटों में सामान्य रुप से विद्युत उत्पादन शुरु हो सके। उन्होंने बताया कि विण्ड पावर जो सामान्यतया पांच सौ से एक हजार मेगावाट मिलती थी वह भी मौसम में बदलाव के कारण अब बहुत कम मात्रा में मिल रही है।
विद्युत की मांग व खपत में लगातार हो रही बढोतरी व कोयले की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने की वजह से प्रदेश के थर्मल प्लांटों में विद्युत उत्पादन प्रभावित होने से ग्रिड की सुरक्षा बनाए रखने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों व म्युनिसिपल क्षेत्रों में रोस्टर से लोड शेडिंग करनी पड़ रही है। बिजली संकट को देखते हुए जोधपुर और अजमेर डिस्कॉम क्षेत्र के अंतर्गत कई जिलों में कंपनी की ओर से बिजली कटौती लागू की गई है। जोधपुर डिस्कॉम के ग्रामीण क्षेत्र में 3 से 4 घंटे तक की संभावित बिजली कटौती रहेगी। सभी नगर पालिका क्षेत्रों (जिला मुख्यालय छोड़कर) में दिन के समय 1 घंटे की संभावित बिजली कटौती रहेगी। अजमेर डिस्कॉम ने भी बिजली कटौती की तैयारी कर ली है। दिन और रात के समय अलग-अलग इलाकों में कटौती की जाएगी। जयपुर डिस्कॉम क्षेत्र में आने वाले ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 2 से 5 घंटे की अघोषित बिजली कटौती की जा रही है। जयपुर की कॉलोनियों में भी 4 से 7 घंटे की बिजली कटौती घोषित की गई है। राजधानी में ही शुक्रवार को करीब 200 कॉलोनी और बस्तियों में 4 से 7 घंटे तक बिजली बंद रहने की सूचना जारी की गई है।
इधर कोयला संकट को देखते हुए गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वीसी के माध्यम से बिजली की पर्याप्त उपलब्धता की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि कोयला खदानों में पानी भरने से उपजे इस संकट के कारण प्रदेश में थर्मल पॉवर प्लांट्स की कुछ इकाइयां अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रही हैं। ऐसे में आमजन को बिजली बचत के लिए जागरूक किया जाए। उन्होंने कहा कि अधिकारी आगामी दिनों में बिजली की मांग एवं उपलब्धता के आधार पर आपूर्ति के संबंध में कार्य योजना बनाएं। विद्युत संकट पर चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने उपभोक्ताओं से बिजली बचत के तरीके अपनाने की अपील की।