उप्र में पहली मई से सभी जिलों में डाकिये पहुंचाएंगे टीबी मरीजों के सैम्पल

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राज्य क्षय रोग और डाक विभाग में करार- नई व्यवस्था से टीबी रोगियों की पहचान और इलाज में आएगी तेजी



लखनऊ, 23 अप्रैल (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सन 2025 तक देश से क्षय रोग यानि टीबी के खात्मे के संकल्प को तय समय सीमा से पहले पूरा करने को लेकर कई नई योजनायें और कार्यक्रम शुरू किये जा रहे हैं।
पहले कोरियर से भेजे जाते थे सैम्पल
इसी क्रम में गुरुवार को स्वास्थ्य भवन में राज्य क्षय रोग विभाग और भारतीय डाक विभाग में विधिवत एक करार हुआ, जिसके तहत पहली मई से प्रदेश के सभी 75 जिलों में टीबी मरीजों का सैम्पल लैब तक पहुंचाने का काम अब डाकिये करेंगे। इससे पहले यह सैम्पल कोरियर से भेजे जाते थे, जिससे रोगियों की पहचान और इलाज शुरू होने में विलम्ब होता था। इस करार के साथ ही उत्तर प्रदेश इस नई व्यवस्था को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।
24 घंटे में 142 सीबीनाट मशीन सेंटर तक सैम्पल पहुंचायेगा डाक महकमा
​चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. रुकुम केस की उपस्थिति में इस करार पर राज्य क्षय रोग कार्यक्रम अधिकारी डॉ. संतोष गुप्ता और डाक विभाग के सहायक निदेशक (पीडी) ओम प्रकाश ने हस्ताक्षर किये। इस करार के मुताबिक प्रदेश के करीब 2300 अधिकृत टीबी जांच केन्द्रों (डीएसटी) से 24 घंटे के अन्दर 142 सीबीनाट मशीन सेंटर तक सैम्पल पहुंचाने का काम डाक विभाग करेगा।
48 घंटे में ड्रग कल्चर सेंसटिविटी टेस्ट सेंटर पहुंचेंगे नमूने
इसके साथ ही 142 सीबीनाट मशीन सेंटर से प्रदेश के आठ जिलों (लखनऊ, आगरा, अलीगढ़, बरेली, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर और इटावा) में स्थित ड्रग कल्चर सेंसटिविटी टेस्ट सेंटर तक 48 घंटे के अन्दर सैम्पल पहुंचाने का काम करेगा।
पहले चरण में चार जनपदों में शुरू हुआ था पायलट प्रोजेक्ट
गौरतलब है कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत लखनऊ, आगरा, बदायूं और चंदौली जिले में पहले चरण में यह कार्यक्रम चलाया गया था। उस दौरान मिली सफलता के आधार पर अब पहली मई से यह व्यवस्था पूरे प्रदेश में मूर्त रूप लेने जा रही है ।
जांच रिपोर्ट जल्द मिलने से तेजी से होगा इलाज
इस अवसर पर डॉ. गुप्ता ने कहा कि टीबी मरीजों के मामले में सबसे बड़ी चुनौती जल्द से जल्द जांच कराने की होती है क्योंकि एक टीबी मरीज अनजाने में न जाने कितने लोगों को संक्रमित कर सकता है। इस करार के बाद सैम्पल की जांच में तेजी आएगी और जांच रिपोर्ट आते ही जल्द से जल्द उनका इलाज शुरू कर दिया जाएगा। इससे संक्रमण का खतरा कम रहेगा।

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