धुबरी (असम), 05 मई (हि.स.)। विधानसभा चुनावों में भाजपा का समर्थन करने वाले पश्चिम बंगाल के लोगों को चुनावों के पहले से ही टीएमसी के गुंडों की हिंसा का शिकार होना पड़ रहा था। लोगों काे लगा कि चुनाव बाद संभवतः सत्ता बदलेगी तो हिंसा व गुंडागर्दी के दिन बीत जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सत्ता में फिर से एक बार टीएमसी की वापसी हुई तो सत्ताधारी पार्टी के समर्थक बेकाबू होकर भाजपा समर्थकों पर टूट पड़े। राज्य भर में मतगणना के बाद हिंसा का नंगा नाच खेला जाने लगा। पुलिस प्रशासन मूक दर्शक बनकर रह गया है। दूसरे दलों के समर्थक अपनी जान बचाने के लिए पश्चिम बंगाल को छोड़कर पड़ोसी राज्यों में शरण लेने को मजबूर हो रहे हैं।
इस कड़ी में मंगलवार और बुधवार को असम के धुबरी जिला में पहुंचे लगभग 500 से अधिक भाजपा कार्यकर्ता व उनके परिजनों ने आंखों में आंसू लिए अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने कहा कि आज अपने घर में रहना उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन गयी है। वे अपने घरों में वर्तमान समय में लौटकर नहीं जा सकते। असम में शरण लेने के लिए पहुंचे लोगों में सभी उम्र के लोग हैं। एक-दो वर्ष से लेकर बुजुर्ग तक शरण लेने के लिए असम में पहुंचे हैं।
पश्चिम बंगाल के कुचबिहार जिला के तूफानगंज विधानसभा क्षेत्र के पूर्व झावकुटी दासपाड़ा निवासी मेघू दास की कहानी दिल को दहला देने वाली है। उन्होंने बुधवार को बातचीत करते हुए कहा कि मेरी मां सरस्वती दास (75) का गत शुक्रवार को कोरोना संक्रमण के चलते निधन हो गया। आज मुझे अपने घर में रहकर श्राद्ध क्रिया करना चाहिए, लेकिन मैं अपनी जान बचाने के लिए अपना घर छोड़कर असम में शरण लेने के लिए मजबूर हुआ हूं। मेघू दास ने कहा कि भाजपा का समर्थन करने के बदले आज मैं घर से बेघर हो गया। मेरा क्या होगा। मैं अपने घर वापस नहीं जा पाऊंगा। मेरी मां का निधन हो गया है, मेरे दिल पर क्या बीत रही है, इसको बताने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। बात करते-करते मेघू दास के आंखों में आंसू आ गये। कुछ इस तरह की कहानी घर से छोड़कर असम में शरण लेने पहुंचे अन्य लोगों की भी है।
पूर्व झावकुची इलाके के निवासी फकरुल इस्लाम ने भी अपनी व्यवथा बताते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव उन्हें घर से बेघर होने का कारण बन गया है। उन्होंने बताया कि उनके समाज (अल्पसंख्यक समाज) के लगभग 50 भाजपा कार्यकर्ता व परिजन घर छोड़कर असम में लावारिस की तरह शरण लेने के लिए मजबूर हैं। घर पर सब कुछ होते हुए भी दूसरे के रहमो करम पर रहने को आज मजबूर होना पड़ा है। फकरूल इस्लाम ने कहा कि ममता दीदी की सरकार के दिल में ममता के लिए कोई जगह नहीं है। वे आज मुख्यमंत्री पद का शपथ ले रही हैं और हम उनके राज में अपने घर से बेघर हो गये।
असम में शरण लेने पहुंचे अन्य लोगों ने भी इस तरह की बातें बेहद कातर अंदाज में बंया की। जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो गये। लोग अपने आपसे सवाल कर रहे हैं, कि कल तक केंद्र सरकार को कोसने वाली टीएमसी पार्टी क्या इस तरह का व्यवहार अपने लोगों के साथ करेगी।