फांसी की सजा पॉक्सो कोर्ट ने 26 दिन में बलात्कारी को सुना दी

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कोर्ट ने कहा – इस तरह का कृत्य कोई पशु भी बच्चे के साथ नही करता



झुंझुनू, 17 मार्च (हि.स.)। झुंझुनू की पोक्सो कोर्ट ने बुधवार को पांच साल की बच्ची से दुष्कर्म करने के मामले में आरोपित को घटना के 26 दिन के भीतर फांसी की सजा सुनाई है। साथ ही कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि इस तरह का कृत्य तो कोई पशु भी बच्चे के साथ नहीं करता है। कोर्ट ने इन वारदातों के पीछे नशा और पोर्नोग्राफी को कारण मानते हुए सरकार को इस दिशा में कदम उठाने के लिए लिखने का फैसला लिया है। 
पॉक्सो कोर्ट के न्यायाधीश जैन ने सजा सुनाते हुए कहा कि सुनवाई के दौरान तुम्हारे अंदर एक बार भी पश्चाताप नहीं देखा। अगर तुम पश्चाताप करते तो हो सकता था तुम्हारी सजा दूसरी होती। विशिष्ट लोक अभियोजक ने बताया कि इस मामले में आरोपित को मंगलवार को न्यायालय ने दोष सिद्ध करने के बाद व्यक्तिगत सुनने के लिए भी बुलाया था। इस दौरान भी आरोपित के मन और चेहरे पर पश्चाताप का कोई भाव नहीं था। इसलिए न्यायालय ने मामले में कोई नरमी नहीं बरती। पत्रावली पर आए साक्ष्य और गवाहों को मद्देनजर रखते हुए फांसी की सजा दी गई।
 
पोक्सो कोर्ट झुंझुनू के विशिष्ट लोक अभियोजक लोकेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि कोर्ट ने आरोपित से यह भी कहा है कि वह अपने जीवन को सुधारना चाहता या फिर अपराध के प्रति पश्चाताप के लिए तैयार है। कहीं सुधरने की मन में हो तो वह अच्छा व्यवहार रखे। साथ ही जेल प्रबंधन को कहा है कि अपराधी को धार्मिक और मोटिवेशनल किताबें उपलब्ध करवाएं जो इसे समाज में स्थापित करने में सहायक साबित हों। आरोपित ने व्यक्तिगत सुनवाई में न्यायालय से कहा कि अपराध का कारण नशा था लेकिन आरोपित की इस दलील को कोर्ट ने इसलिए नहीं माना क्योंकि उसने घटना के बाद करीब 40 किलोमीटर स्कूटी चलाई है और बच्ची को चॉकलेट व चिप्स भी दिलवाई है। ऐसे में वह सेंस में था। कोर्ट में आरोपित ने यह भी स्वीकारा कि वह नशे के अलावा पोर्न वीडियो देखता था जिसे गंभीर मानते हुए कोर्ट ने नशे को युवाओं से दूर रखने तथा पोर्न वीडियोज पर कंट्रोल करने के लिए सरकार को  लिखने का फैसला भी लिया है।
 
मासूम के साथ दुष्कर्म की घटना 19 फरवरी को राजस्थान में झुंझुनू जिले के पिलानी थाने के तहत श्योराणों की ढाणी की है जहां शाम को पांच साल की मासूम खेत में अपने भाई-बहनों के साथ खेल रही थी। इसी दौरान एक स्कूटी पर आरोपित सुनील कुमार (20) आया और मासूम का अपहरण कर ले गया था। अपहरण के तुरंत बाद ही मासूम के भाई-बहनों ने आरोपित का पीछा भी किया था लेकिन वे उसे नहीं पकड़ पाए। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। जिला पुलिस अधीक्षक मनीष त्रिपाठी के निर्देशन पर पुलिस ने तुरंत नाकाबंदी की। इस बीच रात करीब 8 बजे मासूम गाड़ाखेड़ा गांव में लहूलुहान स्थिति में मिली थी। इसके बाद गाड़ाखेड़ा चौकी प्रभारी शेरसिंह तुरंत मौके पर पहुंचे और मासूम को अस्पताल पहुंचाया। हालत गंभीर होने पर उसे जयपुर रेफर किया गया था।
घटना के पांच घंटे बाद ही पुलिस ने शाहपुर निवासी आरोपित सुनील को गिरफ्तार कर लिया था। जांच अधिकारी चिड़ावा पुलिस उपाधीक्षक सुरेश शर्मा ने आरोपित के खिलाफ 9वें दिन ही चालान पेश कर दिया था। तब से मामले की नियमित सुनवाई हो रही थी। कोर्ट ने फैसला भी सिर्फ 26 दिन में सुना दिया। इस मामले में 40 से अधिक गवाह जुटाए और साथ ही करीब 250 दस्तावेज बतौर सबूत रखे। पुलिस ने इस मामले में रोजाना 12 से 13 घंटे काम किया और 10 दिन में ही चालान पेश कर दिया था। पॉक्सो एक्ट लागू होने के बाद मासूम से रेप को फांसी का झुंझुनू जिले का यह दूसरा मामला है। इससे पूर्व तीन साल पहले ऐसे ही एक मामले में आरोपित विनोद कुमार को फांसी की सजा सुनाई गई थी।
 
कोर्ट के फैसले के बाद बच्ची के पिता ने कहा कि आज हमारी बेटी को न्याय मिला है। घटना के बाद से ही वह डरी, सहमी रहती है। उनकी बेटी को जिंदगी भर का दर्द मिला है जिसकी पीड़ा कोई कम नहीं कर सकता है।झुंझुनू पुलिस अधीक्षक मनीष त्रिपाठी ने कहा कि इस फैसले से इस तरह के समाज के कांटों को कड़ा संदेश जाएगा कि बुराई का अंत बुरा ही होता है। उन्होंने मामले में जांच अधिकारी चिड़ावा पुलिस उपाधीक्षक सुरेश शर्मा और पूरी टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस टीम ने महज 9 दिन में चालान पेश कर नया रिकॉर्ड बनाया।
 

 


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