लखनऊ, 25 मई (हि.स.)। सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का वह बयान, जिसमें उन्होंने नसीहत दी थी ‘अखिलेश को मायावती से गठबंधन नहीं करना चाहिए’ पर शुक्रवार को सपा समर्थकों में चर्चा चलती रही।
सपा नेता दबी जुबान से यह भी कहते रहे कि आज भी मुलायम सिंह के बयान काफी अहम हैं। यदि उनकी बातों पर सपा अध्यक्ष ध्यान दिये होते तो उनको घाटे में नहीं जाना पड़ता और उनको सीढ़ी बनाकर मायावती 0 से 10 पर नहीं पहुंच पाती।
एक जनवरी को मुलायम सिंह यादव ने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में कहा था कि अभी तक अखिलेश यादव ठीक से जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं, चूकि मुकाबला भाजपा से है। इस कारण अखिलेश को और अधिक तैयारी करनी चाहिए। इसके साथ ही मुलायम सिंह ने कहा था कि भाजपा की तैयारी हमारी पार्टी की अपेक्षा ज्यादा है। उनकी इन बातों को अखिलेश सहित सपा नेताओं ने अनुसना कर दिया। साथ ही सपा समर्थकों में यह अफवाह फैलायी जाती रही कि बुजुर्ग होने के कारण सपा संरक्षक कभी-कभी लीक से हटकर बोल जा रहे हैं।
मुलायम सिंह ने कहा था, पार्टी को अपने ही लोग कर रहे खत्म
यही नहीं अब सपा समर्थकों का कहना है कि मुलायम सिंह यादव ने लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पुन: प्रधानमंत्री बनने की बात भी एक सोची समझी रणनीति के तहत कही थी। वे जानते थे कि फिर भाजपा ही सत्ता में आने वाली है। इस कारण वे कांग्रेस के कारण भाजपा के कटु विद्रोही नहीं बनना चाहते थे। यही नहीं जब 21 फरवरी को सपा-बसपा के बीच सीटों का बंटवारा हुआ तब भी कहा था कि पार्टी को अपने ही लोग खत्म कर रहे हैं। चुनाव के दिन नजदीक आ गये हैं। मुकाबला भाजपा से है लेकिन अभी तक उम्मीदवारों के नाम तय नहीं हो पाये हैं। वहीं जब मुकाबला भाजपा से है तो फिर बसपा को आधी सीटें देने की क्या जरूरत है। हम मुख्यमंत्री थे तो 39 सीटें जीते थे, जबकि आधी सीटें बसपा को ही दे दी गयी।
सपा समर्थकों का कहना है कि यदि अखिलेश यादव संरक्षक मुलायम सिंह यादव की बात मान लिये होते तो आज फायदे में रहते। अब तो स्थिति यह है कि सपा की धूर विरोधी पार्टी बसपा सपा को ही सीढ़ी बनाकर ऊपर चढ़ गयी, जबकि सपा नीचे खिसक गयी, जिसकी भारपाई कर पाना मुश्किल है।