मुंबई, 24 नवम्बर (हि.स.)। महाराष्ट्र में ताजा सियासी उलटफेर के बीच शरद पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने अपने एक विधायक के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई है। इसमें बताया गया है कि शाहपुर के एनसीपी विधायक दौलत दरोदा शनिवार की सुबह दक्षिण मुंबई में राजभवन पहुंचे थे लेकिन उसके बाद से वह लापता हैं। शनिवार को ही राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह में देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की और अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
पूर्व विधायक पांडुरंग बरोड़ा ने शाहपुर थाने में दरोदा के लापता होने के बारे में शिकायत दर्ज करायी है। दरोदा के बेटे करण ने मीडिया से कहा कि उनके पिता शनिवार सुबह से ही उनसे संपर्क में नहीं हैं। करण ने दावा किया कि उनके पिता एनसीपी संस्थापक शरद पवार के साथ हैं।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों के लिए 21 अक्टूबर को चुनाव हुए थे और 24 अक्टूबर को नतीजे आए थे। चुनाव में भाजपा को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं। किसी भी पार्टी या गठबंधन के सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करने के बाद 12 नवम्बर को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। जब शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए गठबंधन को अंतिम रूप देने में व्यस्त थे, उसी दौरान शनिवार सुबह महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन समाप्त कर दिया गया। उसके बाद शनिवार की सुबह राजभवन में देवेंद्र फड़नवीस ने सुबह 8 बजे एक लो प्रोफाइल फंक्शन में मुख्यमंत्री और एनसीपी के अजीत पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
हालांकि बाद में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में शरद पवार और उद्धव ठाकरे ने इस बात से इनकार किया कि उन्हें अजीत पवार की इस पारी के बारे में पता था। उन्होंने मीडिया के सामने तीन विधायकों को भी पेश किया, जिन्होंने कहा कि वे राज्यपाल के घर पर अजीत पवार के साथ गए थे लेकिन उन्होंने अब अजीत पवार से दूरी बना ली है। उधर, एनसीपी के कई विधायक, जिन्होंने कथित रूप से फड़नवीस का समर्थन किया था, वे शाम को एनसीपी कार्यालय में देखे गए थे। शनिवार शाम की बैठक में एनसीपी के 54 में से 50 विधायक उपस्थित थे।
इस बीच शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए केंद्र सरकार के कदम और भाजपा को सरकार बनाने के राज्यपाल के निमंत्रण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। कोर्ट आज पूर्वाह्न 10.30 बजे उनकी याचिका पर सुनवाई करेगा।
भाजपा और शिवसेना, जो दशकों से सहयोगी हैं, ने हाल के महाराष्ट्र चुनावों में बहुमत हासिल किया था। हालांकि, उद्धव ठाकरे की “50:50” की मांग को लेकर दोनों दल अलग हो गए। शिवसेना ने कहा कि राज्य के चुनावों से पहले मुख्यमंत्री पद के लिए उनके साथ वादा किया गया था। इसी के बाद भाजपा ने सरकार बनाने के लिए आवश्यक संख्या की कमी का हवाला देते हुए राज्यपाल के निमंत्रण को ठुकरा दिया। राज्य में 12 नवम्बर को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था।
उसके बाद शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस से संपर्क किया। कांग्रेस से शुरुआती अनिच्छा के बाद, तीनों दलों ने कथित तौर पर उद्धव ठाकरे के साथ मुख्यमंत्री के रूप में सरकार बनाने पर सहमति व्यक्त की थी। एक साझा न्यूनतम एजेंडा पर भी काम किया जा रहा था।
हालांकि, इससे पहले कि तीनों पार्टियां राज्यपाल से संपर्क कर पातीं, शनिवार सुबह भाजपा ने राज्य में सरकार बना ली। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने देवेंद्र फडनवीस को 30 नवम्बर को बहुमत साबित करने का वक्त दिया है।