‘राहत’ पर राजनीति विचारधाराओं के सहारे

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जयपुर, 02 जून (हि.स.)। कोरोना की दूसरी लहर में पूरे देश के साथ-साथ प्रदेश भी संकट के दौर से गुजर रहा हैं। कोरोना काल में जहां प्रदेश और केंद्र सरकार के आपसी संबंधों में खटास आती दिखाई दे रही है वहीं सूबे में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों ही दलों के प्रमुख नेता विचारधारा के नाम पर राहत की राजनीति करने से नहीं चूक रहे हैं। कांग्रेस में राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री और सीएम अशोक गहलोत के विरोधी सचिन पायलट ने जनता के बीच बने रहने के लिए ट्वीटर अकाउंट के जरिये सेवा का एक प्लेटफॉर्म बना डाला। वहीं भाजपा में  ‘वसुंधरा जन रसोई’ के जरिए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थक कुछ नेता और कार्यकर्ता अपनी सक्रियता बढ़ा रहे हैं।
‘पायलट जनता के साथ’
प्रदेश में एक ओर गहलोत सरकार कोरोना प्रबंधन को लेकर अपनी पीठ थपथपा में लगी हैं वहीं राहत के नाम पर सरकारी तामझाम से दूर पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने जनता के बीच बने रहने के लिए सेवा का एक प्लेटफॉर्म बनाया है। कोरोना पीड़ितों की सहायता के लिए पायलट ने एक ट्वीटर अकाउंट ‘पायलट विद पीपल’ बनाया है, जिसके माध्यम से पायलट समर्थक टीम सहायता पहुंचाने में जुटी हुई है। किसी को रेमडेसिविर इंजेक्शन तो किसी को बेड तथा अन्य प्रकार की आर्थिक सहायता पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। पायलट भले ही सत्ता से दूर हैं लेकिन राहत की राजनीति के जरिये वे फिलहाल सुर्खियों में बने हुए हैं।
पायलट के ट्वीटर अकाउंट में जयपुर, जोधपुर और अजमेर के साथ साथ बाड़मेर, बांसवाड़ा, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू आदि अनेक दूरस्थ जिलों से सहायता व सहयोग के संदेश प्राप्त हो रहे हैं। ट्विटर संदेशों के अनुसार  बड़ी तादाद में लोगों को सेवा पहुंचाई जा चुकी है और यह सिलसिला लगातार जारी है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी से जुडे एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता के अनुसार अपने ट्वीटर अकाउंट के जरिये पायलट ने पूरे राज्य में समर्थकों को सक्रिय किया है ताकि आमजन के बीच इसका सकारात्मक संदेश जाए।
‘सेवा ही संगठन’ वर्सेज ‘वसुंधरा जन रसोई’
इधर कोरोना काल में सेवा कार्यों के दौरान राजस्थान भाजपा भी दो गुटों में बंटी दिखाई दे रही है। एक तरफ आम जन को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां के नेतृत्व में भाजपा संगठन ‘सेवा ही संगठन’ अभियान को आगे बढ़ा रहा है, वहीं हाल ही शुरु हुई ‘वसुंधरा जन रसोई’ के जरिए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थक कुछ नेता और कार्यकर्ता अपनी सक्रियता बढ़ा रहे हैं। इसके तहत लोगों को फ़ूड पैकेट बांटे जा रहे हैं।
वसुंधरा राजे पर पूर्व में प्रदेश में भाजपा के समानांतर संगठन चलाने का आरोप लगता रहा है लेकिन ताजा विवाद में तो भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेताओं में इसलिये नाराजगी है क्योंकि राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देश पर राज्य इकाई पहले ही ‘सेवा ही संगठन’ अभियान चला रही है तो अलग से  ‘वसुंधरा जन रसोई’ की क्या जरूरत है। इस अभियान में खास बात यह है कि ‘रसोई’ के तहत जो फ़ूड पैकेट बांटे जा रहे हैं, उनमें और इस कार्यक्रम के बैनर में सिर्फ़ वसुंधरा राजे की ही तस्वीर को दिखाया जा रहा है। यानि इस पर ना तो भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व की तस्वीर है और ना ही कमल के फूल का निशान। प्रदेश इकाई के लिए चिंता की बात यह है कि ‘वसुंधरा जन रसोई’ के कार्यक्रमों में भाजपा के कई मौजूदा सांसद, पूर्व मंत्री, विधायक भी भाग ले रहे हैं।
इधर प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है। पूनिया ने ‘वसुंधरा रसोई’ के सवाल पर सिर्फ इतना ही कहा कि इसका जवाब तो वही दे सकते हैं, जिन लोगों ने इस रसोई को शुरू किया है। भाजपा में कार्यकर्ता और नेता वसुंधरा रसोई को लेकर आपस में तो चर्चा कर रहे हैं, लेकिन खुलकर बोलने के लिए तैयार नहीं है। इस मामले को लेकर वसुंधरा समर्थक और पूर्व मंत्री कालीचरण सराफ ने बताया कि वसुंधरा जन रसोई आमजन की सेवा करने का माध्यम है, इसमें राजनीति नहीं है। यह कार्यक्रम पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थक सांसद, विधायक, पूर्व विधायक और कार्यकर्ताओं द्वारा संचालित किया जा रहा है लेकिन इसे राजनीति के हिसाब से नहीं देखा जाना चाहिए। आम जन को राहत पहुंचाना ही संगठन का उद्देश्य है और रसोई के माध्यम से जनता की सहायता ही की जा रही है।   

 


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