दिल्ली चुनाव से पहले जदयू के अंदर उबाल

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पवन वर्मा ने पत्र लिखकर बढ़ाईं  मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुश्किलेंकहा, आप तो आरएसएस मुक्त भारत की बातें करते थे, फिर दिल्ली में कैसे कर लिया गठबंधनस्टार प्रचारकों की सूची से वर्मा और पीके को पहले ही कर दिया गया है बाहर    



पटना, 21 जनवरी (हि.स.) : दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के चुनावी गठबंधन से  खुद जदयू की अंदरूनी राजनीति गरमा गई है. एक तरफ जदयू के पूर्व राज्यसभा सदस्य व वरिष्ठ नेता पवन वर्मा ने किसी और पर नहीं बल्कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर ही सीधा निशाना साध दिया है तो दूसरी तरफ पार्टी के मुख्य चुनावी रणनीतिकार व पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर भी असहज हो उठे हैं. दरअसल सोमवार को जदयू ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पार्टी के जिन 20 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है, उसमें पीके और पवन वर्मा के नाम शामिल नहीं हैं. इससे आहत पवन वर्मा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर उनकी मुश्किलें और अधिक बढ़ा दी हैं.

जदयू के पूर्व सांसद और वरिष्ठ नेता पवन वर्मा ने एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चिट्ठी लिखकर  दिल्ली चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन किए जाने के फैसले पर कई सवाल खड़े कर दिए  हैं. इसके साथ ही उन्होंने नीतीश कुमार पर कई गंभीर आरोप भी लगाए हैं. पवन वर्मा ने चिट्ठी में लिखा है कि जब आप महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे थे तब आपने ही आरएसएस मुक्त भारत की बात कही थी, लेकिन अब आपकी सोच कैसे बदल गई है? उन्होंने अपनी चिट्ठी में साफ तौर पर लिखा है कि आपने कई बार जिक्र किया है कि भाजपा का नेतृत्व देश को खतरनाक हालत में ले जा रहा है. पवन वर्मा ने अपनी चिट्ठी में यह भी दावा किया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके सामने खुद माना है कि भाजपा का वर्तमान नेतृत्व कई मौकों पर अपमानित कर चुका है. आपको बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू मिलकर चुनाव लड़ रही है. दिल्ली चुनाव में भाजपा ने जदयू को दो सीटें दी हैं जबकि रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा को एक सीट दी गई है. दिल्ली चुनाव के लिए जदयू ने अपने 20 स्टार प्रचारकों की जो सूची जारी की है उसमें पीके और पवन वर्मा के  नाम शामिल नहीं है जबकि प्रशांत  किशोर का नाम पिछले दिनों झारखण्ड विधानसभा चुनाव में स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल था.

राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के लिए काम करने के चलते जदयू ने पीके का नाम सूची में शामिल नहीं किया है. इस सम्बन्ध में बिहार के जल संसाधन मंत्री और दिल्ली विधानसभा चुनाव में जदयू के प्रभारी संजय झा ने कहा कि चुनाव में जैसी मांग होती है, हम स्टार प्रचारकों की वैसी ही सूची बनाते हैं. जिस नेता की जहां जरूरत होती है, उसे  वहीं का टास्क दिया जाता है.

सीएए-एनआरसी का विरोध करना भारी पड़ा पीके को

प्रशांत किशोर एनडीए के अंदर पहले नेता हैं जिन्होंने खुलकर सीएए और एनआरसी का विरोध किया। लगातार विरोध के कारण पीके पार्टी के अंदर ही अलग- थलग पड़ गए हैं. जदयू नेता व राज्यसभा सदस्य आरसीपी सिंह ने तो यहां तक कह दिया था कि अगर पीके को पार्टी नेतृत्व का फैसला मंजूर नहीं है, तो अनुकंपा पर आए नेता अपने लिए कोई रास्ता देख सकते हैं।

 


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