गढ़चिरौली मुठभेड़ में दुर्दांत नक्सली मिलिंद तेलतुंबडे भी मारा गया

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ढेर हुए 26 नक्सलियों में से 15 पर था कुल 1.40 करोड़ रुपये का इनाम

नक्सलियों के सेंट्रल कमिटी मेंबर तेलतुंबडे पर था 50 लाख का इनाम



गढ़चिरौली, 14 नवंबर (हि.स.)। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की धानोरा तहसील के ग्यारहपत्ती वन क्षेत्र में शनिवार को हुई मुठभेड में पुलिस ने 26 नक्सलियों का मार गिराया था। मारे गए नक्सलियों में दुर्दांत नक्सली मिलिंद तेलतुंबडे भी है। नक्सलियों के सेंट्रल कमिटी मेंबर रहे तेलतुंबडे पर 50 लाख रुपये का इनाम था। इस कारवाई में मारे गए 26 में से 15 बड़े नक्सली थे। इन सभी पर कुल 1 करोड 40 लाख रुपये के इनाम घोषित किए गए थे।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को इस मुठभेड के बारे में बताया कि शनिवार को हुई मुठभेड में मिलिंद तेलतुंबडे का मारा जाना बहुत बडी सफलता है। मिलिंद पर 50 लाख रुपये का इनाम था। उसके खात्मे से नक्सल आंदोलन को बडा झटका देने में पुलिस को सफला मिली है। मिलिंद के अलावा इस मुठभेड में लोकेश उर्फ मंगू मडकाम भी मारा गया है। लोकेश पर 20 लाख का इनाम था। साथ ही कसनुर दलम के महेश गोटा पर 16 लाख रुपये का इनाम रखा गया था। कसनुर दलम के सन्नू उर्फ कोवाची पर 8 लाख, प्रदीप जाडे पर 6 लाख रुपये का इनाम था। वहीं, नवलुराम तुलावी, प्रकाश बोगा, लच्छु, राजू गोटा, प्रमोद कचलामी, कोसा मुखासी एवं बिमला बोगा पर प्रत्येक पर 4 लाख का इनाम रखा गया था, जबकि चेतन पदा पर 2 लाख का इनाम रखा गया था। इसके अलावा मुठभेड में नेरो आणि अडमा पोड्याम भी ढेर हुआ है। बतौर पुलिस अधिकारी इस मुठभेड़ में ढेर हुए अन्य नक्सलियों की पहचान नहीं हो सकी है, जिनमें महिला नक्सली भी हैं। पुलिस इन अज्ञात नक्सलियों के बारे में जानकारी जुटा रही है।

मिलिंद का मारा जाना बड़ी सफलता

मिलिंद तेलतुंबडे महाराष्ट्र, छत्तीसगड और मध्यप्रदेश राज्यों के नक्सल आंदोलन को संचालित करने का काम करता था। महाराष्ट्र के यवतमाल जिले का राजुर निवासी मिलिंद नक्सल आंदोलन के दलित चेहरे के रूप में पहचाना जाता था। बहुत ही कम आयु में वह नक्सलियों की सेंट्रल कमिटी का सदस्य बन गया था। अर्बन नक्सल अवधारणा मिलिंद के दिमाग की उपज मानी जाती है। मिलिंद का बड़ा भाई आनंद तेलतुंबडे बतौर अर्बन नक्सल जेल में बंद है। आनंद और मिलिंद दोनों भाई वंचित बहुजन आघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर के रिश्तेदार थे। इस दुर्दांन नक्सली का मारा जाना पुलिस के लिए बड़ी सफलता और नक्सली आंदोलन को बड़ा झटका माना जा रहा है।


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