नई दिल्ली, 03 जुलाई (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लेह से हुंकार भरते हुए ऐलान किया है कि विस्तारवाद का युग अब समाप्त हो चुका है, विकासवाद का युग ही भविष्य का आधार है। बीती शताब्दियों में विस्तारवाद ने ही मानवता का सबसे ज्यादा विनाश किया है। विस्तारवाद की नीति से ही विश्व शांति के सामने खतरा पैदा हुआ है। ऐसी ताकतें अब मिट गई हैं।
प्रधानमंत्री ने लेह में जवानों को संबोधित करते हुए उनकी हौसला अफजाई की और कहा कि सीमा पर जवानों ने पराक्रम की पराकाष्ठा का परिचय दिया है। पूर देश आप लोगों के शौर्य से गर्व महसूस कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में विश्व विकासवाद को समर्पित है। देश में बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करीब-करीब 3 गुना कर दिया गया है। इससे बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट और सीमा पर सड़कें, पुल बनाने का काम भी बहुत तेजी से हुआ है। इसका एक बहुत बड़ा लाभ यह भी हुआ है कि रक्षा से जुड़ा सामान कम समय में पहुंचता है। उन्होंने कहा कि सेनाओं में बेहतर समन्वय के लिए सीडीएस का गठन, नेशनल वार मेमोरियल का निर्माण, वन रैंक वन पेंशन का फैसला या फिर आपके परिवार की देख-रेख से लेकर शिक्षा तक की व्यवस्था सरकार कर रही है जिससे हर स्तर पर देश अपनी सेनाओं और सैनिकों को मजबूत देख रहा है।
प्रधानमंत्री ने भगवान गौतमबुद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि साहस वह है जो हमें सही को सही कहने और करने की ऊर्जा देता है। देश के वीर सपूतों ने गलवान घाटी में जो अदम्य साहस दिखाया है, वह पराक्रम की पराकाष्ठा है। चाहे आईटीबीपी के जवान हो, बीएसएफ, बीआरओ या फिर दूसरे संगठनों के जवान हो, मुश्किल हालात में काम कर रहे हैं। हर कोई कंधे से कंधा मिलाकर मां भारती की रक्षा के लिए मां भारती की सेवा में समर्पित है। सभी की मेहनत से देश अनेक आपदाओं से एक साथ और पूरी दृढ़ता से लड़ रहा है। जिस भारत के सपने को लेकर आप सब सरहद पर देश की रक्षा कर रहे हैं, उस सपनों का भारत बनाएंगे। इसके लिए 130 करोड़ देशवासी भी पीछे नहीं रहेंगे। एक आत्मनिर्भर भारत बनाकर ही रहेंगे।
उन्होंने सेनाओं का मनोबल बढ़ाते हुए कहा कि आपका साहस उस ऊंचाई से भी ऊंचा है जहां आप तैनात हैं। आपका निश्चय उस घाटी से भी सख्त है जिसको रोज आप अपने कदमों से नापते हैं। आपकी भुजाएं उन चट्टानों जैसी मजबूत हैं जो आपकी इर्द-गिर्द खड़ी है। जब देश की रक्षा आपके हाथों में है तो पूरे देश को अटूट विश्वास है और देश निश्चिंत भी है। उन्होंने गलवान घाटी में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज हर देशवासी का सिर अपने वीर सैनिकों के सामने आदर पूर्वक नतमस्तक होकर नमन करता है। लद्दाख से लेकर करगिल औऱ सियाचीन या गलवान घाटी के ठंडे पानी की धारा तक हर चोटी, जर्रा-जर्रा, कंकड़-पत्थर भारतीय सैनिकों की गवाही देते हैं।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम वे लोग हैं जो बासुंरीधारी कृष्ण की पूजा करते हैं, हम वही लोग भी हैं जो सुदर्शनधारी कृष्ण को आदर्श मानकर चलते हैं।’ प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि दुनिया की मानवता के लिए शांति और मित्रता हर कोई स्वीकार करता है। वीरता ही शांति की पूर्व शर्त होती है। भारत जल, थल और नभ में अपनी ताकत बढ़ा रहा है तो उसके पीछे का लक्ष्य मानव कल्याण है। विश्व ने हमारे वीरों का पराक्रम देखा है और विश्व शांति के उनके प्रयासों को महसूस भी किया है। हमने हमेशा मानवता की रक्षा और सुरक्षा के लिए काम किया है।