जीएसटी प्रणाली में प्राकृतिक गैस को लाने के लिए सरकार प्रयासरतः पीएम मोदी
नई दिल्ली, 17 फरवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सरकार प्राकृतिक गैस को वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) प्रणाली के तहत लाने के लिए प्रयासरत है तथा हमारा लक्ष्य ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना है।
तमिलनाडु में बुधवार को तेल और प्राकृतिक गैस की कई परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करते हुए मोदी ने देश और विदेश के निवेशकों का आह्वान किया। आगे प्रधानमंत्री ने कहा कि वे भारत के तेल और ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करें।
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरकार ने इस क्षेत्र में निवेश को आकर्षक बनाने के लिए अनेक सुधार किए हैं और हमारा प्रयास है कि तेल और गैस उत्पादों के संबंध में विभिन्न राज्यों की कर प्रणाली में समानता आए। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य ‘एक देश-एक पावरग्रिड’ की स्थापना का है।
मोदी ने कहा कि वर्ष 2019-20 में भारत ने अपनी आवश्यकताओं का 85 प्रतिशत तेल और 53 प्रतिशत गैस आयात किया था। उन्होंने कहा कि वह किसी सरकार की आलोचना नहीं करना चाहते, लेकिन उनका मानना है कि यदि तेल और गैस क्षेत्र की परियोजनाओं पर पहले ध्यान दिया गया होता तो देश के मध्यम वर्ग पर आर्थिक बोझ नहीं पड़ता तथा देश ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए आत्मनिर्भरता हासिल करने की ओर बढ़ता।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार स्वच्छ ऊर्जा के रूप में अक्षय ऊर्जा पर विशेष जोर दे रही है और हम अपने आयात के स्रोतों में विविधता ला रहे हैं। उन्होंने कहा कि तेल और प्राकृति गैस निगम (ओएनजीसी) तेल व गैस के क्षेत्र में दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में निवेश कर रहा है तथा देश की तेल-शोधन इकाइयों द्वारा बड़ी मात्रा में पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात किया जा रहा है।
मोदी ने कहा कि तमिलनाडु में शुरू की जा रही इन परियोजनाओं से आत्मनिर्भर भारत अभियान के लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी। पर्यावरण हितैषी और सस्ती ऊर्जा उपलब्ध होगी। साथ ही तमिलनाडु एक प्रमुख तेल-शोधन केंद्र के रूप में उभरेगा। रोजगारों का सृजन होगा और राज्य का समग्र विकास होगा।
उन्होंने कहा कि आज जिन परियोजनाओं का लोकार्पण या शिलान्यास किया गया है उन पर 32 हजार 700 करोड़ रुपए की लागत आएगी। दक्षिण भारत के लोगों को घरों में प्राकृतिक गैस की बाधा रहित आपूर्ति के साथ ही व्यावसायिक इकाइयों और परिवहन क्षेत्र को स्वच्छ ऊर्जा मिल सकेगी। साथ ही गैस पाइप लाइन से ऊर्वरक संयंत्रों को पर्यावरण हितैषी और सस्ती ऊर्जा मिल सकेगी।
प्रधानमंत्री ने चेन्नई पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड, मनाली में रामनाथपुरम-थुथुकुडी प्राकृतिक गैस पाइपलाइन और गैसोलीन डिसल्फराइजेशन यूनिट राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने नागपट्टीनम में कावेरी बेसिन रिफाइनरी की आधारशिला भी रखी। इन परियोजनाओं का देश को सामाजिक-आर्थिक लाभ होगा और देश ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आय़ोजित इस कार्यक्रम में केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई. पलानीस्वामी और उपमुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम उपस्थित रहे।
143 किलोमीटर लंबे रामनाथपुरम- थुथुकुडी प्राकृतिक गैस पाइपलाइन को लगभग 700 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। यह ओएनजीसी गैस क्षेत्रों से गैस का उपयोग करने के साथ-साथ उद्योगों व अन्य वाणिज्यिक ग्राहकों को फीड-स्टॉक के रूप में प्राकृतिक गैस वितरित करने में मदद करेगा।
वहीं चेन्नई पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (सीपीसीएल) मनाली में गैसोलीन डीसल्फराइजेशन इकाई को लगभग 500 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। यह पर्यावरण के अनुकूल गैसोलीन का उत्पादन करेगा, उत्सर्जन को कम करने में मदद करेगा। इस प्रकार स्वच्छ पर्यावरण अपना योगदान देगा।
जबकि नागपट्टनम में स्थापित की जाने वाली कावेरी बेसिन रिफाइनरी की क्षमता 90 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष होगी। इसे आईओसीएल और सीपीसीएल के संयुक्त उद्यम से स्थापित किया जाएगा। इसकी अनुमानित लागत 31,500 करोड़ रुपये है।