भारत की दोस्ती किसी तीसरे के खिलाफ नहीं : मोदी

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संयुक्त राष्ट्र के स्वरूप, प्रक्रिया और व्यवस्था में बदलाव समय की मांग भारत की आवाज हमेशा शांति, सुरक्षा और समृद्धि के लिए उठेगी



नई दिल्ली, 26 सितम्बर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत जब किसी से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है तो वह किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं होता तथा भारत जब ताकतवर हो तो है तो वह किसी को सताता नहीं है। भारत जब अपनी विकास यात्रा की बुलंदी पर पहुंचता है तो वह किसी अन्य देश को मजबूर नहीं करता।
कोरोना महामारी के बीच संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें अधिवेशन को वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए संबोधित करते हुए मोदी ने भारत की हजारों वर्ष पुरानी सभ्यता, संस्कृति और परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा, “भारत जब मजबूत होता है तो किसी को सताता नहीं, विकास की बुलंदी पर होता है तो किसी को मजबूर नहीं करता।” उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में ऐसा लम्बा काल रहा है जब भारत विश्व अर्थव्यवस्था का सिरमौर था, ऐसा भी समय आया जब हमने गुलामी का अभिशाप सहा। उन्होंने कहा कि जब हम मजबूर थे, उस समय भी हम किसी पर बोझ नहीं बने।
संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद में लंबित सुधारों पर क्षोभ व्यक्त करते हुए मोदी ने पूछा कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र दुनिया से सवाल पूछता है कि उसे इन विश्व संस्थाओं में उचित स्थान क्यों नहीं दिया जाता। विश्व की इन निर्णयकर्ता संस्थाओं में भारत की मौजूदगी समझ से परे है। कोरोना महामारी से निपटने में विश्व मानवता को भारत के सक्रिय सहयोग का भरोसा दिलाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दुनिया में वैक्सीन उत्पादन करने वाला सबसे बड़ा देश होने के नाते यह सुनिश्चित करेगा कि दुनिया के हर देश को इसकी आपूर्ति हो।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सैन्य तनाव तथा संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के भारत विरोधी प्रलाप का कोई जिक्र नहीं किया। पिछले वर्ष की तरह इस बार भी मोदी ने इमरान खान के भारत विरोधी बयान को नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने आतंकवाद और कोरोना महामारी का सामना करने में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर तीखा कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि विश्व मानवता पूछ रही है कि संयुक्त राष्ट्र आज कहां है। इस संदर्भ में भारत की भूमिका का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने दुनिया के अनेक देशों को महामारी से संबंधित औषधियों की आपूर्ति की। कोरोना महामारी के चलते लाखों लोग असमय दुनिया छोड़कर चले गए। कितने ही लोगों को अपनी जीवन भर की पूंजी गंवानी पड़ी। उन्होंने पूछा कि इन परिस्थितियों में संयुक्त राष्ट्र की प्रभावशाली भूमिका कहां है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के स्वरूप, प्रक्रिया और व्यवस्था में बदलाव समय की मांग है। भारत के लोग लम्बे समय से सुधारों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। भारत के लोग जानना चाहते हैं कि सुधार की प्रक्रिया अपने अंजाम तक कब पहुंचेगी। नई विश्व व्यवस्था में भारत की भूमिका को स्पष्ट करते हुए मोदी ने कहा,“ भारत जब किसी से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है तो वह किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं होती। भारत जब विकास की साझेदारी मजबूत करता है तो उसके पीछे किसी साथी देश को मजबूर करने की सोच नहीं होती। हम अपनी विकास यात्रा से मिले अनुभव साझा करने में कभी पीछे नहीं रहते।”
अपनी सरकार के सर्वसमावेशी विकास संबंधी उपायों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा मंत्र है, रिफोर्म, फर्फोर्म और ट्रांसफोर्म (सुधार, अमल, रूपांतरण)। इस मंत्र के साथ भारत में करोड़ो देशवासियों के जीवन में बड़ा बदलाव लाने का काम किया है। यह बदलाव विश्व के अन्य देशों के लिए भी उतने ही उपयोगी है जितने हमारे लिए। कोरोना महामारी के दौर में आत्मनिर्भरत भारत अभियान शुरू करने के बारे में मोदी ने कहा कि यह अभियान विश्व अर्थव्यवस्था को भी बहुत गति देगा।
प्रधानमंत्री ने भारत के ‘वसुधैव कुटंबकम’ के आदर्श पर जोर देते हुए कहा कि भारत की आवाज हमेशा शांति, सुरक्षा और समृद्धि के लिए उठेगी। हमारा मार्ग जनकल्याण से जग कल्याण का है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने की प्रतिष्ठा और इसके अनुभव को हम विश्व हित के लिए उपयोग करेंगे। हमारे प्रयास हमेशा विकासशील देशों को ताकत देंगे। मोदी ने कहा कि आतंकवाद, अवैध हथियारों व मादक पदार्थो की तस्करी और धनशोधन मानवता और मानवजाति के दुश्मन हैं। इनके खिलाफ भारत आवाज बुलंद करता रहेगा।

 


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