प्रधानमंत्री :भारत के कई सेनानियों के योगदान को इतिहास में नहीं दिया गया मान

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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, लोकगाथाओं में रचा बसा है भारत का इतिहास बहराइच में सुहेलदेव स्मारक व चित्तौरा झील विकास योजना का किया वर्चुअल शिलान्यास महाराजा सुहेलदेव स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय का भी किया लोकार्पण



बहराइच, 16 फरवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत का इतिहास सिर्फ वो नहीं है, जो देश को गुलाम बनाने वालों, गुलामी की मानसिकता के साथ इतिहास लिखने वालों ने लिखा। भारत का इतिहास वो भी है जो भारत के सामान्य जन में, भारत की लोकगाथाओं में रचा-बसा है जो पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ा है। उन्होंने कहा कि देश के अनेक ऐसे सेनानी हैं, जिनके योगदान को अनेक वजहों से मान नहीं दिया गया। महाराजा सुहेलदेव और भारतीयता की रक्षा के लिए उनके प्रयासों के साथ भी यही कोशिश की गई।
प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार को जनपद बहराइच में वर्चुअल माध्यम से महाराजा सुहेलदेव स्मारक तथा चित्तौरा झील की विकास योजना का शिलान्यास तथा महाराजा सुहेलदेव स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय का लोकार्पण करने के दौरान बोल रहे थे। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बहराइच में उपस्थित होकर जुड़े हैं।
रिसर्च-इनोवेशन में जुटे हर देशवासी को मां सरस्वती का आशीर्वाद मिले-
प्रधानमंत्री ने कहा कि अपने पराक्रम से मातृभूमि का मान बढ़ाने वाले राष्ट्र नायक महाराजा सुहेलदेव की जन्मभूमि और ऋषि मुनियों ने जहां तप किया, बहराइच की ऐसी पावन धरा को मैं आदर पूर्वक नमन है। उन्होंने वसंत पंचमी के अवसर भी सभी को मंगलकामनाएं भी दीं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन विद्या आरंभ और अक्षर ज्ञान के लिए बहुत शुभ दिन माना जाता है। उन्होंने कहा कि हमारे वहां कहा गया है कि ‘सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने। विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तुते’ अर्थात मां भाग्यवती ज्ञान रूपा कमल के समान विशाल नेत्र वाली ज्ञान दात्री सरस्वती मुझको विद्या दीजिए, मैं आपको नमन करता हूंं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की मानवता की सेवा के लिए रिसर्च और इनोवेशन में जुटे, राष्ट्र निर्माण में जुटे हर देशवासी को मां सरस्वती का आशीर्वाद मिले, उन्हें सफलता मिले यही हम सभी की प्रार्थना है।
वसंत महामारी की निराशा को पीछे छोड़कर भारत के लिए नई उम्मीद लेकर आया- 
उन्होंने कहा कि रामचरित्र मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं, ऋतु बसंत बह त्रिविध बयारि। यानी बसंत ऋतु में शीतल, मंद, सुगंध ऐसी तीन प्रकार की हवा बह रही है। इसी हवा, इसी मौसम में खेत-खलिहान, बाग, बगान से लेकर जीवन का हर हिस्सा आनंदित हो रहा है। उन्होंने कहा कि हम जिस तरफ देखें फूलों की बहार है। हर जीव वसंत ऋतु के स्वागत के लिए खड़ा है। यह बसंत महामारी की निराशा को पीछे छोड़कर आगे बढ़ते भारत के लिए नई उम्मीद नई उमंग लेकर आया है।
सुहेलदेव स्मारक आने वाली पीढ़ियों को करेगा प्रेरित-
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस मौके पर भारतीयता, हमारी संस्कृति, हमारे संस्कारों के लिए ढाल बनकर खड़े होने वाले महानायक महाराजा सोहेल देव का जन्मोत्सव हमारी खुशियों को और बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि आज बहराइच में महाराजा सुहेलदेव जी के भव्य स्मारक के शिलान्यास किया गया है। ये आधुनिक और भव्य स्मारक, ऐतिहासिक चित्तौरा झील का विकास, बहराइच पर महाराजा सुहेलदेव के आशीर्वाद को बढ़ाएगा और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा कि आज महाराजा सुहेलदेव जी के नाम पर बनाए गए मेडिकल कॉलेज को एक नया और भव्य भवन भी मिला है।
उन्होंने कहा कि बहराइच जैसे विकास के आकांक्षी जिले में स्वास्थ सुविधाएं बढ़ना यहां के रहने वालों के जीवन को आसान बनाएगा। इसका लाभ आसपास के जिले श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर को तो होगा ही साथ ही साथ ही नेपाल से आने वाले मरीजों को भी मदद करेगा।
भारत के अनेक सेनानियों का नहीं मिल सका मान-
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की पांच सौ से ज्यादा रियासतों को एक करने का कठिन कार्य करने वाले सरदार पटेल जी के साथ क्या किया गया, इसे देश का बच्चा भी भली-भांति जानता है। आज दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा स्टेच्यू ऑफ यूनिटी सरदार पटेल की है, जो हमें प्रेरणा दे रही है। भारत के अनेक ऐसे सेनानी हैं, जिनके योगदान को अनेक वजहों से मान नहीं दिया गया। चौरी-चौरा के वीरों के साथ जो हुआ, वो क्या हम भूल सकते हैं। महाराजा सुहेलदेव और भारतीयता की रक्षा के लिए उनके प्रयासों के साथ भी यही प्रयास किया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते कुछ सालों में देश भर में इतिहास, आस्था, अध्यात्म, संस्कृति से जुड़े जितने भी स्मारकों का निर्माण किया जा रहा है, उनका बहुत बड़ा लक्ष्य पर्यटन को बढ़ावा देने का भी है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश तो पर्यटन, तीर्थाटन दोनों मामले में समृद्ध भी है और इसकी क्षमताएं भी अपार हैं।

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