नई दिल्ली, 01 अगस्त (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि नई शिक्षा नीति युवाओं को स्वयं अपने रास्ता चुनने का अवसर देगी और उसे नौकरी पाने की बजाए नौकरी देने के लिए सक्षम बनाएगी। नई शिक्षा नीति समावेशी है तथा जन एवं भविष्य केन्द्रित है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को स्मार्ट इंडिया हैकेथॉन के ग्रैंड फिनाले से जुड़े कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान के मुख्य शिल्पी महान शिक्षाविद बाबा साहेब आंबेडकर कहते थे कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो सभी की पहुंच में हो, सभी के लिए सुलभ हो। नई शिक्षा नीति उनके इसी विचार को समर्पित है।प्रधानमंत्री ने कहा कि बीती सदियों में भारत ने दुनिया को एक से बढ़कर एक बेहतरीन वैज्ञानिक, तकनीकि विशेषज्ञ और तकनीकि उद्यमी दिए हैं। 21वीं सदी में तेजी से बदलती हुई दुनिया में भारत को अपनी वही प्रभावी भूमिका निभाने के लिए उतनी ही तेजी से बदलना होगा।
उन्होंने कहा कि ऑनलाइन एजुकेशन, स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन जैसे ये अभियान इन्हीं प्रयासों का हिस्सा है। साथ ही भारत की शिक्षा को आधुनिक बनाने, देश की योग्यता को पूरा अवसर दिलाने के लिए हाल ही में नई शिक्षा नीति लाई गई है। यह नीति 21वीं सदी के नौजवानों की सोच, उनकी जरूरतें, उनकी आशाओं-अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को देखते हुए बनाई गई है। उन्होंने कहा, “ ये सिर्फ एक नीति डाक्यूमेंट नहीं है बल्कि 130 करोड़ से अधिक भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब भी है। पिछली शिक्षा नीति की कमियों का छात्रों पर विपरित असर पड़ा है। नई एजूकेशन पॉलिसी के माध्यम से पुरानी अप्रोच को बदलने का प्रयास किया जा रहा है, पहले की कमियों को दूर किया जा रहा है।”
मोदी ने कहा कि 21वीं सदी ज्ञान का युग है। यह समय सिखने, अनुसंधान और नवोन्मेष पर ध्यान केन्द्रित करने का है। भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 यही करती है। यह नीति आपके स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय के अनुभव को उपयोगी, व्यापक और खुद के शोक पूरा करने वाला बनाती है। उन्होंने कहा, “जब आप सीखते हैं तब सवाल उठाने की समझ पैदा होती है। जब आप सवाल उठाते हैं तब आपमें अलग हटकर समस्या का समाधान करने की क्षमता विकसित होती है। अतंतः पूरे व्यक्तित्व का विकास होता है।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि नई शिक्षा नीति में स्थानीय भाषाओं को महत्व देने से देश में ज्ञान और देश की एकता दोनों बढ़ेगी। शुरुआती वर्षों में अपनी ही भाषा में शिक्षा हासिल करने से छात्रों को लाभ मिलेगा और विश्व भी भारत की भाषीय स्मृद्ध विरासत से परिचय पाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा, “जीडीपी के आधार पर विश्व के शीर्ष 20 देशों की लिस्ट देखें तो ज्यादातर देश अपनी गृहभाषा, मातृभाषा में ही शिक्षा देते हैं। ये देश अपने देश में युवाओं की सोच और समझ को अपनी भाषा में विकसित करते हैं और दुनिया के साथ संवाद के लिए दूसरी भाषाओं पर भी बल देते हैं।”
मोदी ने कहा कि नई शिक्षा नीति की सबसे खास बात है कि इसमें कई विधाओं की शिक्षा एक साथ प्राप्त की जा सकती है। छात्रों को अपनी प्रतिभा के अनुरुप मनचाही शिक्षा पाने को मिलती है जिसमें वह बेहतरीन प्रदर्शन कर सकता है। नई शिक्षा नीति में छात्रों पर सामाजिक या पारिवारिक दवाब में अनचाहे विषयों को पढ़ने की बाध्यता से मुक्ति दिलाई गई है जिससे वह सिखने की दिशा में ध्यान केन्द्रित करेगा। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का मकसद शिक्षा को बढ़ावा देना है ताकि छात्र निरंतर आगे पढ़ते रहें।
मोदी ने कहा, “देश की एक बहुत बड़ी आबादी ऐसी है, जो पढ़ी-लिखी तो है, लेकिन जो उसने पढ़ा है उसमें से अधिकांश, उसके काम नहीं आता। डिग्रियों के अंबार के बाद भी वो अपने आप में एक अधूरापन महसूस करता है।” प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नई शिक्षा नीति का मकसद छात्रों पर किताबों का बोझ कम करना, जीवन उपयोगी शिक्षा देना और गहन चिंतन को बढ़ावा देना है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्मार्ट इंडिया हैकेथॉन के दौरान छात्रों से उनके नवाचारों पर बातचीत की। उन्होंने कहा कि स्मार्ट इंडिया हैकथॉन एक नए मंच के रूप में उभरने और नया करने के लिए उभरा है। स्वाभाविक तौर पर इस बार हमारे युवा अपने नवाचारों में कोविड 19 के संदर्भ में दुनिया पर ध्यान केंद्रित करेंगे, साथ ही साथ आत्मानिभर भारत बनाने के तरीके भी गौर करेंगे।
स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से संयुक्त रूप से शुरू किया गया एक राष्ट्रव्यापी अभियान है।