नई दिल्ली, 27 जून (हि.स.)। प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को विपक्ष को राजनीति का चश्मा उतार कर घटनाक्रम का आकलन करने और सरकार के हर कदम का विरोध नहीं करने की सलाह दी।
उन्होंने राज्यसभा में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद को मुखातिब करते हुए एक शेर पढ़ा- ‘‘ताउम्र ग़ालिब यह भूल करता रहा, धूल चेहरे पर थी आईना साफ़ करता रहा।’’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता को देश की विकास यात्रा में हर चीज धुंधली नजर आती है। आज़ाद साहब यदि राजनीति का चश्मा उतार कर देखेंगे तो उन्हें देश की तस्वीर धुंधली नजर नहीं आएगी; देश का भविष्य उज्ज्वल नज़र आएगा।
प्रधानमंत्री के इस शेर को लेकर यह चर्चा गर्म हो गई कि क्या वास्तव में यह शेर गालिब का है। जाने-माने उर्दू शायर जावेद अख्तर ने ट्वीट कर कहा कि प्रधानमंत्री ने गलती से इस शेर के साथ गालिब का नाम जोड़ा है। वैसे मोदी ने जब यह शेर पढ़ा तो सदस्यों ने हर्ष ध्वनि और मेजें थपथपाकर इसकी वाहवाही की।
देश में हिंसक घटनाओं के लिए सरकार की आलोचना किये जाने का उत्तर देते हुए प्रधानमन्त्री ने कांग्रेस नेताओं को अपने गिरेबान में झांकने की सलाह दी। इस सन्दर्भ में उन्होंने वर्ष 1984 में दिल्ली में हुए सिख विरोधी दंगे का उल्लेख किया।
राजनीतिक अवसरवादिता के आरोप पर पलटवार करते हुए मोदी ने कहा कि कांग्रेस को याद करना चाहिए कि किस प्रकार उसने राष्ट्रपति चुनाव में अपने अधिकृत उम्मीदवार को ही हरा दिया था।
मोदी ने कुछ नेताओं द्वारा आपत्तिजनक बयानबाजी किये जाने के बारे में कहा कि वह अपने सांसदों की बैठक में ऐसे नेताओं को फटकार लगाते हैं और संयत भाषा का प्रयोग करने की हिदायत देते रहते हैं।
प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन का बहुमत नहीं होने का जिक्र करते हुए कहा कि विपक्ष इसका फ़ायदा उठा कर अहंकार का प्रदर्शन कर रहा है। इस सम्बन्ध में उन्होंने उल्लेख किया कि किस प्रकार सत्तापक्ष को विपक्ष के हाथ-पाँव जोड़ने पड़े ताकि वह सदन में आज धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का उत्तर दे सकें।