नई दिल्ली, 27 दिसम्बर (हि.स.)। तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसानों के आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को वर्ष 2020 के अपनी आखिरी ‘मन की बात’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मेरे देश के युवाओं में ‘कैन डू’ की अप्रोच है और ‘विल डू’ की स्पीरिट है। उनके लिए कोई भी चुनौती बड़ी नहीं और ना ही उनकी पहुंच से कुछ भी दूर है। उन्होंने कहा कि जुनून और दृढ़निश्चय ऐसी दो चीजें हैं, जिनसे लोग हर लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। भारत के युवाओं में इनकी प्रचुरता है, जिसे देखकर मैं खुद को आनंदित और आश्वस्त महसूस करता हूं।
‘मन की बात’ की 19वीं कड़ी की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने श्रोताओं द्वारा लिखे गए संदेशों में बीते वर्ष के अनुभव और वर्ष 2021 के संकल्पों का ज़िक्र किया। इस दौरान गुरु तेग बहादुर, माता गुजरी, गुरु गोविंद सिंह और चारों साहिबजादों को याद करते हुए उनकी शहादत को नमन भी किया। उन्होंने कहा कि “हमारे देश में आतताइयों , अत्याचारियों से देश की हजारों साल पुरानी संस्कृति, सभ्यता, हमारे रीति-रिवाज को बचाने के लिए कितने बड़े बलिदान दिए गए हैं, आज उन्हें याद करने का भी दिन है।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2020 में आई चुनौतियों खासकर कोरोना संक्रमण का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष चुनौतियां खूब आईं, संकट भी कई आए। कोरोना के कारण दुनिया में सप्लाई चेन को लेकर अनेक बाधाएं आईं लेकिन हमने हर संकट से नया सबक लिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 वायरस संकट की वजह से देशवासियों की सोच में बड़ा परिवर्तन आया है। संकट के समय आए इस परिवर्तन को आंकना आसान नहीं है। अर्थशास्त्री भी इसे अपने पैमानों पर तौल नहीं सकते। उन्होंने कहा कि चुनौतियों का सामना करने के लिए देश में जो नया सामर्थ्य पैदा हुआ, वही ‘आत्मनिर्भरता’ है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस दौरान देश में आशा का एक अद्भुत प्रवाह भी देखा गया है। कोरोना संकट के दौरान जनता कर्फ्यू जैसा अभिनव प्रयोग पूरे विश्व के लिए प्रेरणा बना। जब ताली-थाली बजाकर देश ने कोरोना वॉरियर्स का सम्मान किया, एकजुटता दिखाई तो उसे भी कोई भूल नहीं सकता।
कार्यक्रम के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ चुनिंदा चिट्ठियों का भी जिक्र किया, जो लोगों ने उन्हें लिखी हैं। उन्होंने कहा, “इन चिट्ठियों में, इन संदेशों में, मुझे एक बात जो कॉमन और ख़ास नजर आ रही है, वो मैं आपसे साझा करना चाहूंगा। अधिकतर पत्रों में लोगों ने देश के सामर्थ्य, देशवासियों की सामूहिक शक्ति की भरपूर प्रशंसा की है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘वोकल फॉर लोकल’ की बात करते हुए कहा कि अब ग्राहक भी इंडिया मेड खिलौनों की मांग कर रहे हैं। यह लोगों की सोच में आए बदलाव का जीता-जागता सबूत है। उन्होंने देशवासियों से आग्रह किया कि वे भविष्य में भारत में, भारत के लोगों की मेहनत से बने उत्पादों का ही इस्तेमाल करने का संकल्प लें। उन्होंने ‘जीरो इफेक्ट, जीरो डिफेक्ट’ की सोच के साथ काम करने का उचित समय बताया। इस दौरान ए-बी-सी की चर्चा की और इसे आत्मनिर्भर भारत चार्ट बताया।
गीता का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह हमें हमारे जीवन के हर सन्दर्भ में प्रेरणा देती है। गीता की विशिष्टता ये भी है कि ये जानने की जिज्ञासा से शुरू होती है जब तक जिज्ञासा है, तब तक जीवन है। उन्होंने कहा कि जीवन इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि जीवन तब तक उर्जा से भरा रहता है, जब तक जीवन में जिज्ञासा नहीं मरती है, सीखने की चाह नहीं मरती है। स्वच्छ भारत अभियान के पहले संकल्प की याद दिलाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सफाई अभियान चलाना चाहिए और ये संकल्प भी लेना चाहिए कि हम कचरा फैलाएंगे ही नहीं।
‘मन की बात’ (19वें संस्करण) कार्यक्रम का समापन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने नए वर्ष में देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने पर ज़ोर दिया और नववर्ष की शुभकामनाएं दीं।