मन की बात : नहीं सीख पाए तमिल,प्रधानमंत्री ने बताई अपनी कमी

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नई दिल्ली, 28 फरवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के माध्यम से इस बात पर अफसोस जताया कि वह अपने लंबे राजनीतिक कालखंड में तमिल भाषा नहीं सीख पाए। हर महीने के अंतिम रविवार को प्रसारित होने वाले कार्यक्रम में मोदी ने हैदराबाद की अपर्णा रेड्डी के एक सवाल के जवाब में कहा कि प्रधानमंत्री और इससे पहले मुख्यमंत्री रहते हुए वह कभी तमिल भाषा नहीं सीख पाए इसे वह अपनी कमी मानते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि तमिल भाषा में उच्च कोटि का साहित्य मौजूद है और उन्होंने तमिल में लिखी कविताओं के बारे में बहुत कुछ सुना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अनेक भाषाओं की स्थली है। यह हमारी संस्कृति और गौरव का प्रतीक है।

माघ सिखाए जल संरक्षण

माघ महीने को जल संरक्षण से जोड़ते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह महीना नदियों, सरोवरों और जलस्रोतों से जुड़ा हुआ माना जाता है। इस दौरान जलाशयों में स्नान को पवित्र माना जाता है। उन्होंने कहा कि जल का स्पर्श जीवन के लिए जरूरी और विकास के लिए अनिवार्य है। ऐसे में माघ हमें बताता है कि गर्मियों का आगमन होने ही वाला है। हमें जल के संरक्षण के प्रयास शुरू कर देने चाहिए।

उत्तर प्रदेश की आराध्या और पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर के सुजीत के जल के महत्व को लेकर दिए गए संदेशों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नदी, तालाब, झील, वर्षा या जमीन का पानी हर व्यक्ति के लिए है। जल एक सामूहिक उपहार है जिसे बचाने की जिम्मेदारी हमारी है।

प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में जल संरक्षण अभियान, मध्य प्रदेश के अमरोहा गांव की कविता राजपूत के अन्य महिलाओं के साथ मिलकर झील को नहर से जोड़ने के प्रयास और उत्तराखंड के बागेश्वर में रहने वाले जगदीश गुनियाल के जलस्रोतों के संरक्षण के लिए वृक्षारोपण के प्रयासों का जिक्र किया। उन्होंने देशवासियों से जल शक्ति मंत्रालय के ‘कैच द रैन’ अभियान से जुड़ने और गांवों में तालाबों व झीलों की सफाई करा उसमें वर्षा जल संचयन की अपील की।

संत रविदास की शिक्षाओं से सीखें युवा 

प्रधानमंत्री ने माघ पूर्णिमा के दिन संत रविदास जयंती का जिक्र किया और कहा कि युवाओं को उनसे प्रेरणा लेते हुए कर्मशील बनकर देश को आत्मनिर्भर बनाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका सौभाग्य है कि वह रविदास की जन्मस्थली वाराणसी से जुड़े हैं।

देश के वैज्ञानिकों के बारे में जानें और प्रेरणा ले करें नवाचार

प्रधानमंत्री ने भारत के महान वैज्ञानिक डॉक्टर सी.वी. रमन का स्मरण कराते हुए कहा कि आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस भी है। दुनियाभर के महान वैज्ञानिक के साथ-साथ देशवासियों को भारत के वैज्ञानिकों के बारे में भी जानकारी हासिल करनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि विज्ञान केवल भौतिक शास्त्र और रसायन शास्त्र तक ही सीमित नहीं है इसका विस्तार बहुत आगे है। हमें आत्मनिर्भर भारत अभियान में विज्ञान की शक्ति के योगदान को समझना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने पिछले साल पद्मश्री से सम्मानित चिंतला वेंकट रेड्डी का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए गेहूं और चावल की ऐसी प्रजातियां विकसित की हैं जिसमें इस तत्व की पर्याप्त मात्रा है। साथ ही उन्होंने लद्दाख के उरगेन फुत्सौग के नवाचारी प्रयासों का भी जिक्र किया जिसके तहत उन्होंने ‘साइक्लिक ऑर्गेनिक खेती’ के जरिए 20 फसलों को उगाया है। उन्होंने गुजरात के पाटन के कामराज भाई चौधरी का उल्लेख किया जिन्होंने सहजन के अच्छे बीज विकसित किए हैं। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में हरिश्चंद्र के प्रयासों से चिया सीड्स की खेती और मदुरै के मुरुगेसन के केले के अपशिष्ट से रस्सी बनाने की मशीन बनाने के प्रयासों की भी प्रधानमंत्री ने मन की बात में सराहना की।

आत्मनिर्भर भारत सरकारी नीति नहीं बल्कि राष्ट्रीय चेतना

प्रधानमंत्री ने कोलकाता के रंजन के आत्मनिर्भर भारत अभियान को लेकर की गई व्याख्या को भी मन की बात में रखा। प्रधानमंत्री ने कहा कि रंजन बाबू की बात सौ टका सही है कि यह केवल सरकारी नीति नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय चेतना है। उन्होंने कहा कि हमें भारत में हैंडीक्राफ्ट, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, मोबाइल और कपड़े बनाकर देश का गौरव बढ़ाना होगा।

प्रधानमंत्री ने बेतिया के प्रमोद जी का उदाहरण दिया जिन्होंने लॉकडाउन में अपने गांव आकर एलईडी बल्ब की फैक्टरी बनाई है। उन्होंने गढ़मुक्तेश्वर के संतोष का जिक्र किया जिन्होंने आपदा के काल में चटाई बनाने का काम शुरू किया है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत आज एक भाव बन चुका है जो आमजनों के दिल में प्रवाहित हो रहा है।

सकारात्मक मानव हस्ताक्षेप से प्रकृति का संरक्षण संभव

प्रधानमंत्री ने नमो ऐप के माध्यम से उन्हें प्राप्त हो रहे संदेशों में सकारात्मक मानवीय हस्तक्षेप से प्रकृति के संरक्षण की दिशा में हो रहे प्रयासों का जिक्र किया। गुड़गांव के निवासी मयूर के काजीरंगा राष्ट्रीय पार्क में जल पक्षियों की संख्या में हुए इजाफे से जुड़े एक संदेश को पढ़ते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि काजीरंगा राष्ट्रीय पार्क में इस बार हुए सर्वेक्षण में पक्षियों की कुल 112 प्रजातियां मिली हैं। इनमें से 58 ऐसी प्रजातियां भी हैं जो यूरोप, मध्य एशिया और पूर्वी एशिया सहित विभिन्न इलाकों से सर्दियों के प्रवास पर आई हैं। संरक्षण के प्रयासों में लगे पद्मश्री से सम्मानित जादव पायेन्ग का उन्होंने उदाहरण पेश किया जिन्होंने मजूली आइलैंड में 300 हेक्टेयर भूमि पर वृक्षारोपण किया है। उन्होंने कहा कि असम के मंदिर भी प्रकृति के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हजो स्थित हयाग्रीव मधेब मंदिर, सोनितपुर के नागशंकर मंदिर और गुवाहाटी में स्थित उग्रतारा मंदिर में स्थित तालाब विलुप्त हो चुकी कछुओं की प्रजातियां को बचा रहे हैं।

सिखाने के लिए कामयाबी जरूरी नहीं

प्रधानमंत्री ने कहा कि केवल कामयाब लोग, दूसरों को सिखाएं यह जरूरी नहीं है। उन्होंने ओडिशा के नायक सर का उदाहरण देते हुए अपनी बात को रखा। उन्होंने कहा कि ओडिशा के सिलू नायक राज्य पुलिस में भर्ती नहीं हो पाए थे फिर भी वह आज युवाओं को सशस्त्र बलों व सेना में जाने के लिए प्रशिक्षण देते हैं। उनके यह प्रयास बहुत हद तक सफल भी हुए हैं।

भारतीय खेलों में हो भारतीय भाषाओं में कमेंट्री

प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में संस्कृत भाषा में सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के बारे में की जा रही कमेंट्री की एक क्लिप सुनवाई और साथ ही वाराणसी के संस्कृत विश्वविद्यालय में होने वाली क्रिकेट प्रतिस्पर्धा में संस्कृत कमेंट्री किए जाने का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में बहुत सारे खेल हैं। उनमें अभी तक कमेंट्री करने की संस्कृति नहीं आई है जिसके जलते वह लुप्त भी हो रहे हैं। हमारा विशेष प्रयास होना चाहिए कि भारतीय खेलों में अच्छी कमेंट्री हो और ज्यादा से ज्यादा भाषाओं में कमेंट्री हो। उन्होंने खेल मंत्रालय और निजी शिक्षण संस्थाओं से इसमें आगे आने का आग्रह किया।

हंसते हुए परीक्षा दें छात्र और मुस्कुराते हुए लौटें घर

प्रधानमंत्री ने आगे आने वाली परीक्षाओं का भी जिक्र करते हुए युवाओं से योद्धा बनने और हंसते-हंसते परीक्षा देने व मुस्कुराते हुए लौटने की अपील की। उन्होंने कहा कि हमें केवल अपने आप से प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए। पर्याप्त नींद लेते हुए समय का उचित प्रबंधन करना चाहिए, खेलना भी चाहिए और समय रहते रिवीजन करते हुए परीक्षा देनी चाहिए। मार्च में होने वाली परीक्षा पर चर्चा से पहले उन्होंने अभिभावकों, शिक्षकों और छात्रों से अपने अनुभव और टिप्स साझा करने का आग्रह किया।

कोरोना के प्रति रहें सजग

प्रधानमंत्री ने व्यापारिक गतिविधियों में इजाफे के साथ-साथ कोरोना के प्रति सावधान रहने की भी अपील की और इस संबंध में कोई ढिलाई नहीं देने की बात दोहराई।

 


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