पूर्वी भारत के विकास से होगा देश का संतुलित आर्थिक विकास : प्रधानमंत्री

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नई दिल्ली, 31 मई (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा कि कोरोना संकट के दौरान यह सामने आया कि देश का पूर्वी भाग आर्थिक विकास से दूर रहा है, जिससे श्रमिकों को दूसरे राज्यों में जाकर काम करना पड़ रहा है। अब हमें पूर्वी भारत के विकास पर ध्यान देना है और साथ ही गांव, जिले और कस्बे को आत्मनिर्भर बनाकर देश को मजबूत बनाना है।

प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ में कहा कि कोरोना संकट से हमें बहुत कुछ सिखने को मिला है। इससे सामने आया है कि पूर्वी भारत का विकास बहुत आवश्यक है। इससे ही संतुलित आर्थिक विकास संभव होगा। बीते वर्षों में इस दिशा में बहुत कुछ हुआ है और श्रमिकों की समस्या को देखते हुए यह बेहद जरूरी भी है। हमारे गांव, कस्बे और जिले आत्मनिर्भर होते तो आज हमारे सामने यह समस्यायें खड़ी न होती। उन्होंने कहा कि अब देश में आत्मनिर्भर भारत पर व्यापक मंथन शुरू हो गया है। वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा मिल रहा है। देश में कई चीजें बाहर से आती हैं जिनका आसानी से विकल्प हम देश में ढूंढ सकते हैं और ऐसा करने के लिए अब हम तैयार हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना संकट अभी देश से टला नहीं है। तमाम सावधानियों के साथ अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा फिर से पटरी पर लौट आया है। ऐसे में मुंह पर मास्क लगाना, दो गज की दूरी और हाथ धोते रहने के नियम में कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए। दुनिया की ओर देखने पर पता चलता है कि कोरोना के खिलाफ भारत की लड़ाई अन्य देशों के मुकाबले अधिक मजबूत है। इस संकट के चलते नुकसान हुआ है जिसका हम सभी को दुख है लेकिन जो बचा पाए हैं वह सामूहिक शक्ति के चलते ही संभव हो पाया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि महामारी के समय भारतीयों की सेवा और त्याग की शक्ति सामने आई है। हमने बता दिया है कि सेवा केवल हमारा आदर्श नहीं है बल्कि हमारा स्वभाव है। दूसरे की सेवा करने वालों को कोई मानसिक तनाव व दुख नहीं आता है। वह हमेशा जीवंत रहते हैं। हमारे कोरोना वॉरियर सेवा कर रहे हैं और उनके जैसे कई लोग भी सेवा कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि संकट से निपटने के लिए केवल सामूहिक प्रयास ही काफी नहीं होता बल्कि नवाचार भी जरूरी होता है। कोरोना महामारी पर जीत के लिए नवाचार एक बहुत बड़ा आधार है। उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में कई नवाचार प्रमुखता से सामने आये हैं।

कोरोना के चलते लगाए गए लॉकडाउन और उससे श्रमिक वर्ग के सामने आई दिक्कतों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ग को सबसे ज्यादा परेशानियां उठानी पड़ी हैं जिनकी वेदना कही नहीं जा सकती। हम सब इसको बांटने का प्रयास करें। ऐसे में उन्हें घर तक पहुंचाने वाले रेलवे के कर्मचारी अग्रिम पंक्ति में खड़े कोरोना वारियर ही हैं। वह हजारों श्रमिकों को ले जा रहे हैं उनका टेस्ट कर रहे हैं, उन्हें यात्रा करा रहे हैं और क्वारेंटाइन कर रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस और आयुष मंत्रालय की प्रतियोगिता का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि योग कम्युनिटी, इम्युनिटी और यूनिटी के लिए योग बहुत अच्छा है। विश्व के नेताओं की योग और आयुर्वेद के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है। योग दिवस भी आ रहा है। आज हॉलिवुड से हरिद्वार तक योग की साधना हो रही है। योग कोरोना से प्रभावित होने वाली हमारी स्वश्न प्रणाली को मजबूत बनाता है। उन्होंने कहा कि योग को बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय ने माइलाइफ माई योग प्रतियोगिता शुरू की है। इसमें तीन मिनट का वीडियो बनाकर भेजना है और यह बताना है कि योग से क्या-क्या बदलाव हमारे जीवन में आए हैं।

आयुष्मान भारत योजना का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे पेट भरने की समस्या से जूझ रहे आमजन को स्वास्थ्य सुविधाएं मिलनी आसान हो गई हैंं। आयुष्मान भारत योजना से नॉर्वे जैसे देशों से दोगुनी आबादी को इलाज दिया गया है। इससे गरीबों के 14 हजार करोड़ रुपये बचे हैं। इसमें पोर्टेबिलिटी की सुविधा है। बिहार का गरीब कर्नाटक में भी सुविधा ले सकता है। इस पुण्य का असली हकदार देश का ईमानदारी से टैक्स भरने वाला भी है।

हाल ही में आए अम्फन तूफान का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बंगाल और ओडिशा के लोगों ने मजबूती से इसका सामना किया है और पूरा देश उनके साथ खड़ा है। साथ ही उन्होंने टिड्डियों के हमले का भी जिक्र किया और कहा कि सरकार इससे निपटने के उपाय कर रहे हैं।

पांच जून के विश्व पर्यावरण दिवस का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार का दिवस जैव विविधता को समर्पित है। लॉकडाउन के दौरान सोशल मीडिया में पर्यावरण में आए सुधार पर ध्यान जाता है और हमें प्रकृति और जीवजन्तुओं के लिए कुछ करने की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने लोगों से अनुरोध किया कि पर्यावरण दिवस पर पेड़ लगाएँ और कुछ ऐसा करें की प्रकृति से जुड़ें।

वर्षा के जल संग्रहण की अपील करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्षा ऋतु में हम सभी को जल संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए।

 


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