नई दिल्ली, 26 जनवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उग्रवादी संगठनों से हिंसा का रास्ता छोड़ने की अपील करते हुए कहा कि बातचीत और शांति के जरिए ही किसी भी समस्या का समाधान निकल सकता है।
आकाशवाणी पर लोकप्रिय कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 61वें संस्करण को संबोधित करते हुए रविवार को प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के किसी भी कोने में हिंसा और हथियार के दम पर किसी भी समस्या का हल तलाश रहे लोगों से वह आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर अपील करते हैं कि वे बंदूक और हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौट आएं। उन्होंने कहा कि कहीं भी हिंसा के जरिए किसी भी तरह की समस्या का समाधान नही निकल सका है। उन्होंने कहा कि शांति और एकजुटता ही किसी भी विवाद को सुलझाने का एकमात्र रास्ता है। उन्होंने हाल ही में असम में आठ उग्रवादी संगठनों के आत्मसमर्पण करने का जिक्र करते हुए कहा कि 600 उग्रवादियों ने आत्मसर्पण किया है और हिंसा का रास्ता छोड़ मुख्यधारा में लौट आए हैं।
मोदी ने कहा कि जिन्होंने कभी हथियार उठा लिए थे उन्हें अब विश्वास हुआ है कि बातचीत और शांति से ही किसी मुद्दे का हल निकल सकता है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में उग्रवाद की घटनाओं में कमी आई है। असम की तरह ही त्रिपुरा में भी ऐसे ही हथियार उठाने वाले 80 से अधिक लोग बंदूक छोड़ मुख्यधारा में शामिल हुए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस माह जब देश मकर सक्रांति, पोंगल और अन्य त्यौहार मना रहा था ऐसे समय में दिल्ली एक ऐतिहासिक घटना की गवाह बन रही थी। राष्ट्रीय राजधानी में एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किये गए। इसके साथ ही, लगभग 25 वर्ष पुरानी ब्रू-रियांग विवाद के एक दर्दनाक अध्याय का अंत हुआ। ये समस्या 90 के दशक की है। 1997 में जातीय तनाव के कारण ब्रू- रियांग जनजाति के लोगों को मिज़ोरम से निकल करके त्रिपुरा में शरण लेनी पड़ी थी। इन शरणार्थियों को उत्तर त्रिपुरा के कंचनपुर स्थित अस्थाई कैम्पों में रखा गया। यह बहुत पीड़ा दायक है कि ब्रू-रियांग समुदाय के लोगों ने शरणार्थी के रूप में अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा खो दिया।
मोदी ने कहा कि इस समझौते के तहत अब उनके लिए गरिमापूर्ण जीवन जीने का रास्ता खुल गया है। आखिरकार 2020 का नया दशक ब्रू-रियांग समुदाय के जीवन में एक नई आशा और उम्मीद की किरण लेकर आया। करीब 34000 ब्रू-शरणार्थियों को त्रिपुरा में बसाया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इतना ही नहीं, उनके पुनर्वास और सर्वांगीण-विकास के लिए केंद्र सरकार लगभग 600 करोड़ रूपए की मदद भी करेगी। प्रत्येक विस्थापित परिवार को जमीन दी जाएगी और घर बनाने में उनकी मदद की जाएगी। इसके साथ ही, उनके राशन का प्रबंध भी किया जाएगा। वे अब केंद्र और राज्य सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे।