नई दिल्ली, 12 मई (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस से उपजे आर्थिक संकट का मुकाबला करने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये की धनराशी वाले ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ की घोषणा करते हुए मंगलवार को कहा कि देश में लॉकडाउन का चौथा चरण नए रूप-रंग के साथ लागू होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संदेश में रात आठ बजे कहा कि कोरोना महामारी के अभूतपूर्व संकट के मद्देनजर केन्द्र सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक और आज घोषित आर्थिक पैकेज की कुल धनराशि 20 लाख करोड़ रुपये होगी। यह धनराशी देश के सकल घरेलू उत्पाद का 10 प्रतिशत है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण अगले कुछ दिनों में ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के इस आर्थिक पैकेज का विस्तार के ब्यौरा देंगी। आर्थिक पैकेज में कई तरह के प्रावधान किए गए हैं, जिससे सभी क्षेत्रों का विकास निश्चित होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मजदूरों, किसानों, मध्यमवर्ग, व्यापारी और उद्यमी वर्ग सहित देश के सभी तबकों के हितों का इस आर्थिक पैकेज में ध्यान रखा गया है। प्रधानमंत्री ने संकट के मौजूदा दौर में प्रवासी मजदूरों रेहड़ी-ठेलेवालों और छोटे दुकानदारों को पेश आई कठिनाइयों का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी त्याग और तपस्या सराहनीय है। उन्होंने कहा, “कोरोना संकट का सामना करते हुए नए संकल्प के साथ मैं आज एक विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा कर रहा हूं। ये आर्थिक पैकेज, ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ की अहम कड़ी के तौर पर काम करेगा। आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए इस पैकेज में जमीन, मजदूर, अर्थव्यवस्था में धन का प्रवाह और कानून सभी पर बल दिया गया है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने लॉकडाउन को 17 मई के बाद बढ़ाने की घोषणा करते हुए कहा कि इसका चौथा चरण नए रूप-रंग में होगा। हमारा लक्ष्य कोरोना से बचना भी है और आगे बढ़ना भी है। उन्होंने कहा कि राज्यों से मुख्यमंत्रियों से लॉकडाउन-चार के बारे में सुझाव मांगे गए हैं। 18 मई से पहले इनका पूरा खुलासा किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भता के साथ ही स्थानीय स्तर पर उत्पादित वस्तुओं के उपयोग की वकालत करते हुए कहा कि कोरोना संकट से हमें स्थानीय सामानों ने ही मदद पहुंचाई है। हमें लोकल के प्रति वोकल (स्थानीय के प्रति मुखर) होना होगा। उन्होंने कहा, “आज से हर भारतवासी को अपने लोकल के लिए ‘वोकल’ बनना है, न सिर्फ लोकल वस्तुएं खरीदनी हैं, बल्कि उनका गर्व से प्रचार भी करना है। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा देश ऐसा कर सकता है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना संकट का मुकाबला आत्मनिर्भरता, आत्मविश्वास और आत्मबल से ही संभव है। हमें आत्मनिर्भर बनकर दुनिया में स्थानीय स्तर पर उत्पादित वस्तुओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने की इमारत पांच स्तंभों पर टिकी है। वो है- क्वांटम जंप लगा सकने वाली अर्थव्यवस्था, आधुनिक भारत की पहचान बनाने वाली ढांचागत संरचना, 21वीं सदी के सपनों को साकार करने वाली तकनीक आधारित व्यवस्था, आत्मनिर्भर की शक्ति का स्रोत बन सकने वाली जनसांख्यकी और बड़ी मांग और आपूर्ति वाला बाजार। उन्होंने कहा कि आज हमारे पास साधन हैं, हमारे पास सामर्थ्य है, हमारे पास दुनिया का सबसे बेहतरीन टैलेंट है, हम बेहतरीन उत्पाद बनाएंगे, अपनी गुणवत्ता को और बेहतर करेंगे, सप्लाई चेन को और आधुनिक बनाएंगे, ये हम कर सकते हैं और हम जरूर करेंगे।
मोदी ने कहा कि भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करता है, तो आत्मकेंद्रित व्यवस्था की वकालत नहीं करता। भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख, सहयोग और शांति की चिंता होती है। संकट के इस दौर में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही दुनिया में आज भारत की दवाइयां एक नई आशा लेकर पहुंचती हैं। विश्व के सामने भारत का मूलभूत चिंतन, आशा की किरण नजर आता है। भारत की संस्कृति, भारत के संस्कार, उस आत्मनिर्भरता की बात करते हैं। जिसकी आत्मा वसुधैव कुटुंबकम है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना संकट हमारे लिए एक संकेत, एक संदेश और एक अवसर लेकर आया है। पिछली सदी में कहा जाता था कि 21वीं सदी भारत की होगी और यह दिखाई देता प्रतित हो रहा है, जिसके लिए हमें तैयार होना होगा। यह केवल सपना नहीं है बल्कि एक जिम्मेदारी भी है।
करीब आधा घंटे के अपने राष्ट्र के नाम संदेश के अंत में प्रधानमंत्री ने कहा, “आत्मनिर्भर भारत का ये युग, हर भारतवासी के लिए नूतन प्रण भी होगा, नूतन पर्व भी होगा। अब एक नई प्राणशक्ति, नई संकल्पशक्ति के साथ हमें आगे बढ़ना है।”