संयुक्त राष्ट्र संघ को उपयोगी और प्रासंगिक बनाने के लिए बदलाव जरूरी : प्रधानमंत्री मोदी
नई दिल्ली, 17 जुलाई (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ का पुनर्जन्म समय की मांग है ताकि इसे दुनिया के वर्तमान हालात में उपयोगी और प्रासंगिक बनाए रखा जा सके। उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्वयुद्ध के झंझावातों के बीच 75 वर्ष पूर्व संयुक्त राष्ट्र संघ का जन्म हुआ था। आज के वर्तमान हालात में कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न संकट के दौर में इस विश्व संस्था में आवश्यक सुधार की जरूरत है। इसका पुनर्जन्म ही इसे प्रासंगिक बनाए रख सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद् के सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया में वैश्वीकरण को नए रूप से परिभाषित करने की जरूरत है। मानव केंद्रित वैश्वीकरण तथा ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ के जरिए ही दुनिया के समक्ष मौजूद चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी हमारे धैर्य और क्षमता की अग्नि परीक्षा ले रही है। भारत में इसके खिलाफ लड़ाई को एक जन अभियान बनाया गया है, जिसमें स्थानीय स्तर के प्रशासन, संगठनों और सामाजिक संस्थाओं की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। उन्होंने कोरोना के खिलाफ भारत के अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि देश में इस रोग का शिकार लोगों के स्वस्थ होने की दर बहुत अच्छी है।
भारत की विकास यात्रा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में हुई सामाजिक आर्थिक प्रगति दुनिया के अन्य विकासशील देशों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की परंपरा प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर जीने की रही है। हमने दुनिया के सबसे बड़े स्वच्छता और एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग कम करने के अभियान को संचालित किया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत सोलर अलायंस कर जलवायु परिवर्तन को कम करने की दिशा में काम कर रहा है। अपनी पृथ्वी के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए पिछले कुछ सालों में भारत ने 3.8 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन में कमी लाई है।
भारत में हो रहे विकास कार्यों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 2025 तक देश को टीबी से मुक्त किए जाने की योजना है। भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर सब लोगों को सुरक्षित छत देने का काम कर रहा है। विशिष्ट पहचान संख्या, बैंक खाता और मोबाइल कनेक्शन के जरिए देश में वित्तीय समावेशन का कार्य भी चल रहा है। प्रधानमंत्री ने इस बात का भी उल्लेख किया कि संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक सामाजिक परिषद के पहले अध्यक्ष भारतीय थे। भारत ने परिषद को आकार देने में बड़ी भूमिका निभाई है।