भारतीय फार्मा क्षेत्र पर कोरोना काल में बढ़ा दुनिया का भरोसा : प्रधानमंत्री मोदी
नई दिल्ली, 18 नवम्बर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महामारी के दौरान कोरोना रोधी वैक्सीन के निर्माण सहित स्वास्थ्य क्षेत्र में उठाये गये तमाम कदमों का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय फार्मा क्षेत्र ने इस चुनौती का सफलतापूर्वक सामना किया। उन्होंने कहा कि भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र द्वारा अर्जित वैश्विक विश्वास ने हाल के दिनों में भारत को ‘दुनिया की फार्मेसी’ बना दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी फार्मास्युटिकल क्षेत्र के पहले वैश्विक नवाचार शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया भी मौजूद थे। सभा को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा विजन इनोवेशन के लिए एक ऐसा इको-सिस्टम बनाना है जो भारत को ड्रग डिस्कवरी और इनोवेटिव मेडिकल डिवाइसेस में लीडर बनाए। सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के आधार पर सरकार की ओर से नीतिगत हस्तक्षेप किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में स्वास्थ्य क्षेत्र की महत्ता प्रदर्शित हुई। महामारी ने फार्मास्युटिकल क्षेत्र को तेजी से फोकस में ला दिया है। चाहे वह जीवनशैली हो, दवाएं, चिकित्सा प्रौद्योगिकी या टीके स्वास्थ्य सेवा के हर पहलू ने पिछले दो वर्षों में वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय दवा उद्योग भी चुनौती के लिए तैयार हो गया है।
मोदी ने कहा, “भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र द्वारा अर्जित वैश्विक विश्वास ने हाल के दिनों में भारत को ‘दुनिया की फार्मेसी’ बना दिया है। लगभग 3 मिलियन लोगों को रोजगार और 13 बिलियन डॉलर के व्यापार अधिशेष के साथ, फार्मा क्षेत्र भारत के आर्थिक विकास का एक प्रमुख स्तंभ है। उन्होंने कहा कि भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र ने 2014 से अब तक 12 बिलियन डॉलर से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित किया है और इसमें भी बहुत कुछ होने की संभावना है।
प्रधानमंत्री ने विस्तार से बताया कि स्वास्थ्य की हमारी परिभाषा भौतिक सीमाओं तक सीमित नहीं है। हम संपूर्ण मानव जाति की भलाई में विश्वास करते हैं और हमने इस भावना को पूरी दुनिया को कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान दिखाया है। उन्होंने बताया कि हमने महामारी के प्रारंभिक चरण के दौरान 150 से अधिक देशों को जीवन रक्षक दवाएं और चिकित्सा उपकरण निर्यात किए। हमने इस वर्ष लगभग 100 देशों को कोविड टीकों की 65 मिलियन से अधिक खुराक का निर्यात भी किया है।
प्रधानमंत्री ने नवाचार के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की कल्पना की जो भारत को दवा की खोज और नवीन चिकित्सा उपकरणों में अग्रणी बनाएगा। उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के आधार पर नीतिगत हस्तक्षेप किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों का एक बड़ा पूल है जिसमें उद्योग को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि इस ताकत को ‘डिस्कवर एंड मेक इन इंडिया’ के लिए इस्तेमाल करने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज भारत के 1.3 बिलियन लोगों ने देश को आत्मनिर्भर बनाने का जिम्मा अपने ऊपर लिया है। प्रधानमंत्री ने आग्रह किया कि हमें टीकों और दवाओं के लिए प्रमुख सामग्री के घरेलू निर्माण में तेजी लाने के बारे में सोचना चाहिए। यह एक सीमा है जिसे भारत को जीतना है।
प्रधानमंत्री ने हितधारकों को आइडिया इन इंडिया, इनोवेट इन इंडिया, मेक इन इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि अपनी असली ताकत की खोज करें और दुनिया की सेवा करें।