नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पानी की प्रचुरता में रहने वाले देश के प्रत्येक नागरिक से अपील की कि वह पानी बचाने के लिए और अधिक प्रयास करें। साथ ही उन्हें अपनी आदतों में भी बदलाव लाने का आह्वान किया। उन्होंने किसानों से भी कम पानी वाली फसलों को वरीयता देने का सुझाव दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी से 2019 तक हमारे देश में केवल 3 करोड़ घरों में ही नल का पानी उपलब्ध था। 2019 में जल जीवन मिशन की शुरुआत के बाद से अब तक 5 करोड़ घरों को पानी के कनेक्शन से जोड़ा जा चुका है। उन्होंने कहा कि पिछले सात दशकों में जितना काम किया गया था, उससे कहीं अधिक काम सिर्फ दो वर्षों में किया गया है। मोदी ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि टैंकरों या ट्रेनों के माध्यम से देश के किसी भी हिस्से में पानी लाने की स्थिति न आए।
प्रधानमंत्री शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जल जीवन मिशन पर ग्राम पंचायतों और पानी समितियों तथा ग्राम जल और स्वच्छता समितियों (वीडब्ल्यूएससी) के साथ बातचीत के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने हितधारकों के बीच जागरूकता में सुधार लाने और मिशन के तहत योजनाओं की अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए जल जीवन मिशन ऐप लॉन्च किया। प्रधानमंत्री ने ‘जल जीवन मिशन के दो वर्ष’ ई-पुस्तिका का भी विमोचन किया।
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय जल जीवन कोष का भी शुभारंभ किया, जहां कोई भी व्यक्ति, संस्था, निगम, या परोपकारी, चाहे वह भारत में हो या विदेश में, हर ग्रामीण घर, स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र, आश्रम और अन्य जनता में नल का पानी कनेक्शन प्रदान करने में मदद करने के लिए योगदान दे सकता है।
प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि गांव महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के दिलों का हिस्सा हैं। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि दोनों महापुरुषों की जयंती पर देश भर के लाखों गांवों के लोग ग्राम सभा के रूप में जल जीवन संवाद का आयोजन कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन का विजन सिर्फ लोगों तक पानी पहुंचाना नहीं है। यह विकेंद्रीकरण का एक बड़ा आंदोलन है। उन्होंने कहा कि यह एक गांव संचालित-महिला संचालित आंदोलन है। इसका मुख्य आधार जन आंदोलन और जनभागीदारी है। प्रधानमंत्री ने याद किया कि गांधी कहा करते थे कि ‘ग्राम स्वराज’ का वास्तविक अर्थ आत्मविश्वास से भरा होना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरा निरंतर प्रयास रहा है कि ग्राम स्वराज की यह सोच उपलब्धियों की ओर बढ़े।
मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान ग्राम स्वराज के लिए किए गए उपायों को याद किया। उन्होंने बताया कि पानी और स्वच्छता के लिए ढाई लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे ग्राम पंचायतों को दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि शक्तियों के साथ-साथ पंचायतों के कामकाज की पारदर्शिता पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन और पानी समितियां ग्राम स्वराज के प्रति केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता का एक प्रमुख उदाहरण हैं।
पानी की समस्या की लोकप्रिय धारणाओं का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने फिल्मों, कहानियों, कविताओं के बारे में बात की जो विस्तार से बताती हैं कि कैसे गांव की महिलाएं और बच्चे पानी लाने के लिए मीलों पैदल चलकर जाते थे। कुछ लोगों के मन में गांव का नाम लेते ही यह तस्वीर उभर आती है। प्रधानमंत्री ने पूछा कि इतने कम लोग इस सवाल के बारे में क्यों सोचते हैं: इन लोगों को हर दिन किसी न किसी नदी या तालाब में क्यों जाना पड़ता है, आखिर पानी इन लोगों तक क्यों नहीं पहुंचता? प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे लगता है कि जिन लोगों पर लंबे समय तक नीति-निर्माण की जिम्मेदारी थी, उन्हें खुद से यह सवाल पूछना चाहिए था।” प्रधानमंत्री ने कहा कि शायद पहले के नीति-निर्माताओं को पानी के महत्व का एहसास नहीं था क्योंकि वे पानी की प्रचुरता वाले क्षेत्रों से आते हैं। मोदी ने कहा कि वह गुजरात जैसे राज्य से आते हैं और उन्होंने सूखे की स्थिति देखी है और पानी की एक-एक बूंद का महत्व जानते हैं। इसलिए उन्होंने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए लोगों को पानी देना और जल संरक्षण को प्राथमिकता थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी से 2019 तक हमारे देश में केवल 3 करोड़ घरों में ही नल का पानी उपलब्ध था। 2019 में जल जीवन मिशन की शुरुआत के बाद से अब तक 5 करोड़ घरों को पानी के कनेक्शन से जोड़ा जा चुका है। आज देश के करीब 80 जिलों के करीब सवा लाख गांवों में हर घर में पानी पहुंच रहा है। आकांक्षी जिलों में नल कनेक्शनों की संख्या 31 लाख से बढ़कर 1.16 करोड़ हो गई है।
उन्होंने कहा कि पिछले सात दशकों में जितना काम किया गया था, उससे कहीं अधिक काम सिर्फ दो वर्षों में किया गया है। उन्होंने पानी की प्रचुरता में रहने वाले देश के प्रत्येक नागरिक से अपील की कि वह पानी बचाने के लिए और अधिक प्रयास करें। साथ ही उन्हें अपनी आदतों में भी बदलाव लाने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने देश की बेटियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा में सुधार के उपायों की गणना की। उन्होंने बताया कि हर घर और स्कूल में शौचालय, सस्ते सैनिटरी पैड, गर्भावस्था के दौरान पोषण सहायता और टीकाकरण जैसे उपायों ने ‘मातृशक्ति’ को मजबूत किया है। उन्होंने बताया कि गांवों में बने ढाई करोड़ घरों में से अधिकतर महिलाओं के नाम हैं, उज्ज्वला ने महिलाओं को धुंए से भरी जिंदगी से मुक्ति दिलाई है. स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर मिशन से जोड़ा जा रहा है और पिछले सात वर्षों में इन समूहों में तीन गुना वृद्धि हुई है। उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत पिछले सात वर्षों में महिलाओं के समर्थन में पिछले पांच वर्षों की तुलना में 2014 में 13 गुना वृद्धि हुई है।
इस दौरान केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि देश आजादी के अमृतकाल से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का संकल्प है कि प्राकृतिक सम्पदा जल को बचाना है। वर्तमान में हर घर तक स्वच्छ जल पहुंचाने के साथ ही भविष्य के लिए इसे संचित भी करना है।