केंद्र सभी प्रवासी श्रमिकों को ‘3-4 दिन’ में पहुंचाना चाहता है उनके घर, राज्य दें अनुमति : पीयूष गोयल
नई दिल्ली, 10 मई (हि.स.)। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को सभी राज्यों से श्रमिक विशेष ट्रेनों के संचालन की अनुमति देने की अपील की है ताकि अगले तीन से चार दिनों में फंसे हुए लोग घर पहुंच सकें। इससे एक दिन पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस संबंध में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लिखा था।
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को ट्वीट के माध्यम से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशानुसार, रेलवे पिछले छह दिनों से हर रोज़ 300 श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा कि मैं सभी राज्यों से अपील करता हूं कि वे अपने फंसे प्रवासियों को बाहर निकालने और वापस लाने की अनुमति दें ताकि वह सभी अगले 3-4 दिनों में अपने घरों तक पहुंच सकें।
पश्चिम बंगाल सरकार ने शनिवार को दावा किया था कि उसने अपने प्रवासियों को घर ले जाने के लिए आठ ट्रेनों को मंजूरी दी थी। इन ट्रेनों में से चार ट्रेनों को शनिवार को रवाना होना था लेकिन वह नहीं चलीं। रेल अधिकारियों के अनुसार रेलवे प्रतिदिन 300 रेलगाड़ियां चलाने में सक्षम है। हालांकि, यह राज्यों से विशेष रूप से पश्चिम बंगाल और राजस्थान जैसे राज्यों से मंजूरी नहीं मिलने के कारण संभव नहीं हो पा रहा है।
रेल मंत्रालय के प्रवक्ता ने रविवार को बताया कि आज दोपहर तीन बजे तक देश भर के विभिन्न राज्यों से कुल 366 ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेनों का परिचालन किया गया है, जिसमें 287 ट्रेनें अपने गंतव्य तक पहुंच गई जबकि 79 ट्रेनें रास्ते में हैं। इन 287 ट्रेनों में सबसे अधिक 127 रेलगाड़ियों ने उत्तर प्रदेश और 87 ने बिहार में अपनी यात्रा समाप्त की। इसके अलावा आंध्र प्रदेश (1 ट्रेन), हिमाचल प्रदेश (1 ट्रेन), झारखंड (16 ट्रेन), मध्य प्रदेश (24 ट्रेन), महाराष्ट्र (3 ट्रेनें), ओडिशा (20 ट्रेनें), राजस्थान (4 ट्रेनें), तेलंगाना (2 ट्रेनें), पश्चिम बंगाल (2 ट्रेनें) में यात्रा समाप्त की।
उल्लेखनीय है कि विशेष रेलगाड़ियों द्वारा विभिन्न स्थानों पर फंसे प्रवासी श्रमिकों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, छात्रों और अन्य व्यक्तियों की आवाजाही के संबंध में गृह मंत्रालय के आदेश के बाद, भारतीय रेलवे ने एक मई से ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेनों के संचालन का निर्णय लिया था। इन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में, अधिकतम 1200 यात्री सामाजिक दूरी को देखते हुए यात्रा कर सकते हैं। ट्रेन में चढ़ने से पहले यात्रियों की उचित जांच सुनिश्चित की जाती है। यात्रा के दौरान यात्रियों को मुफ्त भोजन और पानी दिया जाता है।