पितृपक्ष के दौरान गयाजी के लिए हवाई सेवा शुरू करने की मांग

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हज और बाैद्ध पर्यटकों के लिए गया से उपलब्ध है हवाई सेवा सेंट्रल बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स ने केंद्र सरकार से की मांगरेलवे प्लेटफॉर्म ‌पर जाने की पांबदी से गयापाल पंडा समाज नाराज



गया 12 अगस्त (हि.स.)। सनातन धर्मावलंबियों के विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला में प्रतिवर्ष देश-विदेश से हजारों की संख्या में तीर्थ यात्री गयाजी आते हैं और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति की कामना को लेकर यहां कर्मकांड करते हैं। लेकिन गयाजी के लिए पितृपक्ष पर देश-विदेश से सीधे हवाई सेवा की सुविधा नहीं है, जबकि हज यात्रियों के लिए गया से सीधे हवाई सेवा उपलब्ध है।

गया हवाई अड्डे से कई देशों के लिए अंतरराष्ट्रीय उड़ान की सुविधा बौद्ध पर्यटकों के लिये भी उपलब्ध है।सेंट्रल बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष डॉ. कौशलेंद्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में शहर का व्यावसायिक वर्ग एवं प्रबुद्ध नागरिकों का एक बड़ा तबका पितृपक्ष मेले के मौके पर गयाजी को सीधे हवाई सेवा से जोड़ने की मांग को पूरा करने के लिए मुहिम चला है।
चैंबर के अध्यक्ष डॉ. कौशलेंद्र प्रताप सिंह के अनुसार नरेंद्र मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद अब इस उम्मीद को हकीकत में बदलने की पूरी संभावना है। डाॅॅ. सिंह की पहल पर औरंगाबाद के सांसद सुशील कुमार सिंह ने सेंट्रल बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स की विशेष बैठक में घोषणा की है कि वे व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संज्ञान में मामला लाने के लिए हरसंभव प्रयास करने जा रहे हैं। इसके पूर्व चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से गया के सांसद विजय मांझी से पितृपक्ष मेला के मौके पर हवाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पहल करने की मांग की जा चुकी है।
दूसरी ओर जिला प्रशासन के एक आदेश से मोक्षधाम की सीढ़ी के रूप में विख्यात गयापाल पंडा समाज मर्माहत है। प्रशासनिक आदेश में गयापाल पंडा समाज के सदस्यों को रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर जाने के लिये प्रतिबंध कर रखा है। पंडा समाज ने रविवार को बैठक कर प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विष्णुपद मंदिर प्रबंधनकारिणी समिति के सचिव गजाधर लाल पाठक, समाज के वरिष्ठ सदस्य महेश लाल गुपुत सहित कई का मानना है कि गयाजी कर्मकांड में गयापाल पंडा की अहम् भूमिका और धार्मिक महत्व है। लेकिन प्रशासन पंडा समाज को बंदिशों में बांधने का हमेशा प्रयास करता है, जो पंडा समाज को स्वीकार्य नहीं है।

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