मुंबई, 29 नवम्बर (हि.स.)। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने शिवाजी मैदान में आयोजित कार्यक्रम में पद व गोपनीयता की शपथ लेकर सूबे के 29वें मुख्यमंत्री बन गए हैं। दादर में बालमोहन विद्यामंदिर से प्राथमिक शिक्षा व सर जेजे स्कूल आफ अप्लाईड आर्ट्स से आर्टस में स्नातक की डिग्री पाने के बाद उनका मन सिर्फ फोटोग्राफी में ही रमता था। उनके चित्रों को विश्व स्तर पर ख्याति मिल चुकी है।
उनका मन कभी भी राजनीति में नहीं रमता था। वे तो सिर्फ फोटोग्राफी में ही मग्र रहते थे, लेकिन उन्होंने पिता बालासाहब ठाकरे को मदद करने के लिए न चाहते हुए भी 1997 व 2002 में मुंबई महानगरपालिका चुनाव में थोड़ा बहुत काम किया था। 2003 में लोनावाला में शिवसेना की बैठक में उनको कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी गई। इसके बाद 2004 में बालासाहब ठाकरे ने उद्धव ठाकरे को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। बालासाहब ठाकरे बीमार रहने लगे थे, इसलिए 2006 में शिवसेना के मुखपत्र दैनिक सामना की संपादकीय की जिम्मेदारी भी उनपर आ गई। इसी दौरान बालासाहब ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर नई पार्टी का गठन कर लिया था, लेकिन बालासाहब की बीमारी व शिवसेना संगठन को संभालने की दोहरी जिम्मेदारी का निवर्हन उद्धव ठाकरे ने बखूबी किया।
जहां लोग शिवसेना के टूटने की चर्चा कर रहे थे, वहीं एक गंभीर व स्वच्छ नेतृत्व प्रदान करते हुए उद्धव ठाकरे ने शिवसेना को सत्ता तक पहुंचा दिया है। चुनाव से पहले ही प्रचार के दौरान उद्धव ठाकरे कह रहे थे कि इस बार महाराष्ट्र में शिवसेना का मुख्यमंत्री बनेगा। उनके राजनीतिक विरोधी उन्हें हल्के में ले रहे थे। पिछले 30 साल की सहयोगी पार्टी भाजपा सत्ता में ढाई साल का मुख्यमंत्री पद देने के लिए राजी नहीं हुई। इसलिए उद्धव ठाकरे ने शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की महाविकास आघाड़ी बनाकर मुख्यमंत्री पद आखिर शिवसेना को दिलवा दिया है।
अब तक 28 लोग राज्य का मुख्यमंत्री पद संभाल चुके हैं। मुख्यमंत्री पद संभालने वाले उद्धव ठाकरे 29वें व्यक्ति हैं। शपथ ग्रहण के बाद उद्धव ठाकरे ने अपने सहयोगी मंत्रियों के साथ सिद्धि विनायक मंदिर में भगवान गणेश का दर्शन किया। सह्याद्रि अतिथिगृह में उद्धव ठाकरे मंत्रिमंडल की बैठक कर रहे हैं।
उद्धव ठाकरे के साथ तीनों दलों के दो-दो विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली है। इसमें शिवसेना के एकनाथ शिंदे एवं सुभाष देसाई, एनसीपी के जयंत पाटील एवं छगन भुजबल, कांग्रेस के बालासाहब थोरात एवं नितिन राऊत शामिल हैं।
एकनाथ शिंदे : 18 साल की उम्र में शिवसेना से जुड़े। शिंदे, फडणवीस सरकार में मंत्री थे। ठाणे में आनंद दिघे की मृत्यु के बाद एकनाथ शिंदे ने शिवसेना का वर्चस्व कायम रखा है। वर्ष 2004 से लगातार ठाणे पाचपाखाड़ी विधानसभा क्षेत्र से लगातार जीत रहे हैं। उनको उद्धव ठाकरे का करीबी माना जाता है।
सुभाष देसाई : सुभाष देसाई इस समय विधानपरिषद के सदस्य हैं। सुभाष देसाई शिवसेना प्रमुख के खास सहयोगी रहे हैं। इसी प्रकार मातोश्री के हर काम में उनका निर्णय अहम रहता है। देसाई पिछली सरकार में उद्योग मंत्री थे, इसलिए प्रशासकीय कामकाज का उन्हें अनुभव है।
जयंत पाटील : जयंत पाटील वालवा इस्लामपुरा विधानसभा क्षेत्र से लगातार छठी बार निर्वाचित हुए हैं। उच्च शिक्षित जयंत पाटील अनुभवी होने के साथ शरद पवार के अत्यंत विश्वस्त माने जाते हैं। हालही में एनसीपी विधायक दल के नेता अजीत पवार द्वारा भाजपा से हाथ मिलाकर सरकार बनाने पर शरद पवार ने जयंत पाटील पर ही सर्वाधिक भरोसा किया और उन्हें ही विधायक दल का नेता बना दिया।
छगन भुजबल : छगन भुजबल नासिक के येवला विधानसभा क्षेत्र से चुने गए हैं। छगन भुजबल ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत शिवसेना से की थी। वर्ष 1990 में वे कांग्रेस में चले गए। शरद पवार ने जब एनसीपी बनायी तो उनके साथ चले गए। वह उपमुख्यमंत्री रहे हैं।
बालासाहब थोरात : कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक दल के नेता हैं। अहमदनगर जिले के संगमनेर विधानसभा सीट से वह आठवीं बार निर्वाचित हुए हैं। थोरात को पराजित करने का प्रयास पूर्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील ने किया था, लेकिन लोगों में अच्छी पकड़ होने की वजह से विखे पाटील की दाल नहीं गल सकी। राधाकृष्ण विखे पाटील के भाजपा में जाने के बाद विधानसभा चुनाव बालासाहेब थोरात के ही नेतृत्व में कांग्रेस ने लड़ा था। पिछले चुनाव से दो विधायक अधिक जीते। इसलिए कांग्रेस में उनका प्रभाव बढ़ गया है। बालासाहेब थोरात राजस्व मंत्री का पदभार सभाल चुके हैं।
नितिन राऊत : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं। नागपुर उत्तर सीट के विधायक हैं। अखिल भारतीय अनुसूचित आघाड़ी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने की वजह से वह महाविकास आघाड़ी का दलित चेहरा भी हैं।