लखनऊ, 31 दिसम्बर (हि.स.)। नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) के विरोध में उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हुई हिंसा के दौरान पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सक्रिय होने की पुष्टि होने पर प्रदेश सरकार ने संगठन पर बैन लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। इस संगठन पर बैन लगाने के लिए उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओमप्रकाश सिंह ने गृह मंत्रालय को सिफारिश की है।
डीजीपी सिंह ने सोमवार को केन्द्रीय गृह मंत्रालय को पीएफआई पर बैन लगाने के लिए पत्र भेजने की पुष्टि की है। रिपोर्ट में देश के प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के सदस्यों के पीएफआई में शामिल होने का भी उल्लेख किया गया है। उन्होंने कहा कि यूपी पुलिस लखनऊ समेत प्रदेश के 21 जिलों में हुए प्रदर्शन और उस दौरान हिंसा को रोकने में सफल हुई। इस दौरान पीएफआई के सदस्यों की पहचान की गयी और उनकी गिरफ्तारियां भी हुई। पुलिस की गिरफ्त में आये पीएफआई सदस्यों ने प्रदर्शन से पूर्व आपत्तिजनक साहित्य और सामग्री का वितरण भी किया था।
प्रदेश में हुई थी पीएफआई की कई बैठकें
राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय ‘मल्टी एजेंसी सेंटर’ के अनुसार पीएफआई से जुड़े लोगों ने हिंसक घटनाओं से पहले उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बैठक करके आपत्तिजनक सामग्री बांटने का कार्यकर्ताओं को फरमान सुनाया था। प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने की पूरी तैयारी थी। प्रदेश के विभिन्न जिलों बाराबंकी, गोंडा, बहराइच, वाराणसी, शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर, आज़मगढ़ और सीतापुर में इनकी सक्रियता हैं।
क्या है पीएफआई
देश के 23 राज्यों में फैले पीएफआई संगठन का गठन 22 नवम्बर 2006 को माना जाता है। जब पीएफआई ने नई दिल्ली के रामलीला मैदान में नेशनल पॉलिटिकल कॉन्फ्रेंस करके अपनी पहचान बताई थी। इसका संरक्षक ई.अबुबक्कर है। केरल में पीएफआई पर बैन लग चुका है।