पेट्रोल पर मध्य प्रदेश सर्वाधिक और डीजल पर राजस्थान सबसे ज्यादा वसूलता है टैक्स

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पेट्रोल-डीजल के दाम को एक समान बनाने की कोई योजना विचाराधीन नहीं: हरदीप पुरी



नई दिल्ली, 26 जुलाई (हि.स.)। सरकार ने कहा कि देशभर में पेट्रोल-डीजल की कीमतों को एक समान रखने के लिए कोई योजना विचाराधीन नहीं है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में सोमवार को यह जानकारी दी।

हरदीप सिंह पुरी ने लोकसभा में कहा कि मध्य प्रदेश पेट्रोल पर देश में सबसे ज्यादा बिक्री कर या वैट लगाता है, जबकि राजस्थान में डीजल पर सर्वाधिक कर लगाता है। गौरतलब है कि पेट्रोल और डीजल के दाम इस महीने सर्वोच्च स्तर पर हैं। पेट्रोल के खुदरा मूल्य में 55 फीसदी तथा डीजल के मूल्य में 50 फीसदी केंद्र और राज्यों के कर होते हैं।

उन्होंने लोकसभा में उदय प्रताप सिंह और रोडमल नागर के प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि अभी तक माल एवं सेवा कर जीएसटी परिषद ने तेल (पेट्रोल और डीजल) और गैस को जीएसटी में शामिल करने की कोई सिफारिश नहीं की है। पूरी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार के आधार पर पेट्रोल-डीजल के दाम तय होते हैं।

पुरी ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान पेट्रोल से अर्जित उत्पाद शुल्क और उपकर 1,01,598 करोड़ रुपये, जबकि डीजल से अर्जित उत्पाद शुल्क 2,33,296 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें पेट्रोल और डीजल के आधार मूल्य और केंद्रीय करों की कुल राशि पर वैट (मूल्य वर्द्धित कर) लगाती हैं।

पेट्रोलियम मंत्री के जवाब के मुताबिक देश में पेट्रोल और डीजल पर सबसे कम वैट अंडमान निकोबार द्वीप समूह में क्रमश: 4.82 रुपये और 4.74 रुपये प्रति लीटर है लेकिन मध्य प्रदेश पेट्रोल पर 31.55 रुपये प्रति लीटर वैट लगाता है, जो देश में सर्वाधिक है। राजस्थान में डीजल पर 21.82 रुपये प्रति लीटर कर लगता है, जो देश में डीजल पर सर्वाधिक है।


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