नई दिल्ली, 25 मार्च (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी, 2020 के अपने फैसले के बावजूद सेना में कई महिला अधिकारियों को फिटनेस के आधार पर स्थायी कमीशन न देने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने दो महीने में इन महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के बारे में 2010 में पहला फैसला दिया था। 10 साल बीत जाने के बाद भी मेडिकल फिटनेस और शरीर के आकार के आधार पर स्थायी कमीशन नहीं देना सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमारी सामाजिक व्यवस्था पुरुषों ने पुरुषों के लिए बनाई है। समानता की बात झूठी है। महिलाओं को बराबर अवसर दिए बिना रास्ता नहीं निकल सकता। कोर्ट ने दो महीने में इन महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए कहा है जिससे करीब डेढ़ सौ महिला अधिकारियों को इससे लाभ होने की उम्मीद है।
सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी, 2020 को सेना में महिलाओं के कमांडिग पदों पर स्थायी कमीशन देने का आदेश जारी किया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि महिलाओं को युद्ध के सिवाय हर क्षेत्र में स्थायी कमीशन दिया जाए। कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद केंद्र को सेना में महिलाओं के कमांडिग पदों पर स्थायी कमीशन देने का आदेश जारी करना चाहिए था।