गुवाहाटी, 02 जनवरी (हि.स.)। राजधानी गुवाहाटी के नीलांचल पहाड़ पर स्थित विश्व विख्यात शक्तिपीठ कामाख्या धाम में कोरोना काल के बाद पहली बार हर्ष उल्लास के साथ तीन दिवसीय पौहान बिया (विवाह) का समापन शनिवार को हुआ। इस अवसर देश-विदेश से हजारों की संख्या में भक्त माता रानी का आशीर्वाद लेने कामाख्या धाम पहुंचे।
कामाख्या धाम में पौहान विवाह के अवसर पर फूलों से पूरे मंदिर परिसर को सजाया गया था। प्रत्येक वर्ष असमिया पंचांग के अनुसार पौष महीने के कृष्ण पक्ष की द्वितीया व तृतीया तिथि में पौहान विवाह संपन्न किया जाता है। पौहान विवाह में देवी कामाख्या और कामेईश्वर का विवाह किया जाता है। पहले दिन अधिवास इसके बाद विवाह और वासी विवाह के बाद विवाह का कार्यक्रम संपन्न हो गया। इस दौरान श्रद्धालु देवी-देवता के इस अलौकिक विवाह में हर्ष उल्लास के साथ शामिल हुए। विवाह की सभी रस्में निभायी गयी और देवी देवताओं को परिणय सूत्र में बंधते देख श्रद्धालु मंत्रमुग्ध दिखे।
मंदिर परिसर में शहनाई, ढोल वाद्य से गूंज उठा। अधिवास की रस्म के बाद विवाह की रस्म संपन्न की गयी। इस दौरान बारात भी निकाला गयी। सभी बारात में शामिल हुए। पूरे असमिया विधि-विधान तथा मंत्रोच्चारण के साथ विवाह की रश्म संपन्न की गयी। फेरों के लिए सुंदर मंडप बनाया गया था। जिसे फूलों से सजाया गया था। विवाह के सारे नियमों का पालन करते हुए बारात निकाली गयी। जिसमें श्रद्धालु शामिल हुए।
उल्लेखनीय है कि प्राचीन काल से परंपरागत रूप से शक्ति पीठ कामाख्या धाम में पौहान बिया का आयोजन किया जाता है और इस अलौकिक विवाह में लाखों भक्त कामाख्या मंदिर तक मां का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन, इस बार कोरोना महामारी के चलते पूर्व की तुलना में श्रद्धालुओं की संख्या में कमी जरूर दिखी।