एयर इंडिया की फ्लाइट में दस दिनों तक तीनों सीटों पर बैठ सकेंगे यात्री

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सुप्रीम कोर्ट की केंद्र को फटकार, आपको केवल अपने एयर इंडिया की चिंता है जनता की नहीं 



नई दिल्ली, 25 मई (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने एयर इंडिया को अगले दस दिनों तक कोरोना महामारी के दौरान एयरक्राफ्ट में तीनों सीटों पर यात्रियों को बैठाने की मंजूरी दे दी है। चीफ जस्टिस एसए बोब्डे की अध्यक्षता वाली बेंच ने वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये हुई सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आपको केवल अपने एयर इंडिया की चिंता है, आपको अपने लोगों यानि देश की जनता की सेहत की चिंता होनी चाहिए।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बांबे हाई कोर्ट ने जो आदेश दिया है वो 18 मार्च के सर्कुलर के आधार पर था। तब कोर्ट ने कहा कि वही सर्कुलर अंतरराष्ट्रीय उड़ान के लिए लागू है। कोर्ट ने मेहता से पूछा कि क्या आपने सर्कुलर पढ़ा है। तब मेहता ने कहा कि सर्कुलर केवल घरेलू उड़ान पर लागू होता है। कोर्ट ने कहा कि ये सर्कुलर एयरपोर्ट और एयरलाइंस पर लागू होता है। तब मेहता ने कहा कि 23 मार्च को भारत ने सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक लगा दिया था। तब कोर्ट ने कहा कि 23 मार्च का सर्कुलर घरेलू उड़ान पर जबकि 25 मार्च का सर्कुलर अंतरराष्ट्रीय उड़ान पर लागू होता है। तुषार मेहता ने कहा कि 4 मई को चिकित्सा विशेषज्ञों और उड्डयन विशेषज्ञों की बैठक हुई थी। उन्होंने कहा कि बीच वाली सीट खाली छोड़ने से किसी मसले का हल नहीं होगा। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि केंद्र सरकार को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाना चाहिए। कंधे से कंधा लगाकर बैठना खतरनाक है। कोर्ट ने कहा कि ये एक कॉमन सेंस है कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी है।
चीफ जस्टिस ने कहा कि बाहर आप छह फीट के सोशल डिस्टेंसिंग की बात कर रहे हैं और अंदर आप बीच वाली सीट का भी अंतर नहीं रखना चाहते हैं। तब मेहता ने कहा कि सबसे अच्छा है जांच और क्वारेंटाइन, सीट के अंतर का कोई फर्क नहीं है। तब कोर्ट ने पूछा कि आप ये कैसे कह सकते हैं कि इससे फर्क नहीं पड़ेगा। क्या वायरस ये जानता है कि यह एयरक्राफ्ट है और इसे संक्रमण नहीं होगा। तब मेहता ने कहा कि विशेषज्ञों का कहना है कि बीच वाली सीट खाली नहीं छोड़ी जाए। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि हम बांबे हाई कोर्ट के पास ये मामला वापस भेज रहे हैं। हाई कोर्ट में 2 जून को सुनवाई होनी है। तब तक ये मामला लंबित रहेगा।
मेहता ने कोर्ट को ये बताना चाहा कि बीच वाली सीट क्यों खाली नहीं छोड़ी गई है। यहां से एक विमान अमेरिका जा रही थी। जिनकी पहले से बुकिंग थी वे पहुंच गए। बीच वाली सीट खाली छोड़ने में प्रक्रियागत दिक्कतें थी। परिवार एक साथ बैठता है। एयरपोर्ट अलग बात है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि आप अब कह रहे हैं कि सभी सीटें बुक हुई हैं, बीच वाली भी। तब मेहता ने कहा कि हां। चीफ जस्टिस ने पूछा कि किस डेट तक, तब मेहता ने कहा कि 16 जून तक। तब मेहता ने कहा कि अगली तिथि तक आप बीच वाली सीट पर बैठाएं लेकिन उसके बाद बीच वाली सीट पर मत बैठाएं। कोर्ट ने कहा कि हम सामान्य तौर पर बांबे हाई कोर्ट के आदेश में कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं, लेकिन सॉलिसिटर जनरल ने काफी परेशानियां बताई हैं। जो लोग फंसे हैं वे काफी परेशान हैं। उसके बाद कोर्ट ने दस दिनों तक बीच वाली सीट पर बैठने की इजाजत दे दी लेकिन उसके बाद एयर इंडिया बांबे हाई कोर्ट के फैसले का पालन करेगा।
कोर्ट के आदेश पर जब मेहता ने टोकना चाहा तो कोर्ट ने कहा कि हमें मत टोकिए। हम लोगों के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं। आपको नागरिकों के स्वास्थ्य की चिंता करनी चाहिए एयरलाइंस के स्वास्थ्य की नहीं।

 


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