गाजियाबाद, 23 अगस्त (हि.स.)। प्रयागराज हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवावई के बाद आरडब्ल्यूए को बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने आरडब्ल्यूए की कार्यकारिणी के सदस्यों लोकसेवक (पब्लिक सर्वेंट) मानते हुए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर में हाईकोर्ट का दखल से इंकार कर दिया है। इस निर्णय के बाद अब आरडब्ल्यूए की मनमानी पर अंकुश लगेगा।
हाईकोर्ट ने यह निर्णय कौशांबी स्थित कंचनजंगा आरडब्ल्यूए की कार्यकारिणी के सदस्यों की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है। हाईकोर्ट ने आरडब्ल्यूए के सदस्यों को लोकसेवक (पब्लिक सर्वेंट)मानते हुए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर में हाईकोर्ट का दखल से इंकार कर दिया। हाईकोर्ट का यह आदेश फ्लैट मालिकों के लिए राहत माना जा रहा है।
यह मामला कौशांबी स्थित कंजनजंगा इमारत का है। वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता गौरव गोयल की याचिका पर मेरठ स्पेशल न्यायालय ने कंचनजंगा आरडब्ल्यूए की कार्यकारिणी के सदस्यों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत पुलिस में एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे जिसमें सप्रीम के अन्य अधिवक्ता अभिषेक यादव ने बहस में कहा था कि आरडब्ल्यूए की कार्यकारिणी के सदस्य लोकसेवक हैं। जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आते हैं। यदि आरडब्ल्यूए का कोई सदस्य अपने फायदे के लिए एसोसिएशन के पैसे का गलत इस्तेमाल करता है तो यह अपराध की श्रेणी में आता है।
मेरठ के विशेष न्यायालय के आदेश में एफआईआर दर्ज होने के खिलाफ आरडब्ल्यूए के 11 सदस्यों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। अब प्रयागराज हाईकोर्ट की डबल बेंच ने इस याचिका की सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुनाया। जिसमें बेंच ने यह याचिका कर दी और माना कि आरडब्ल्यूए की कार्यसमिति के सदस्य पब्लिक सर्वेंट हैं और उन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब आरडब्ल्यूए सदस्यों की मनमानी खत्म होगी और आरडब्ल्यूए के पैसों के सही इस्तेमाल लिए अब वे जिम्मेवार होंगे। साथ ही आरडब्ल्यूए में हो रहे घपलों पर लगाम लाग सकेगी। यह आदेश फलैट मालिकों के लिए एक बड़ी राहत माना जा रहा है।