कर्नाटक के सियासी उठापटक को लेकर कांग्रेस का संसद के दोनों सदनों में हंगामा

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सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह लोकसभा अध्यक्ष की पीड़ा को समझते हैं, लेकिन सदन में कामकाज बढ़ा है तो कांग्रेस का भी इसमें योगदान और सहयोग है



नई दिल्ली, 09 जुलाई (हि.स.)। कर्नाटक में चल रहे सियासी उठापटक का मामला मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में जोरशोर से उठा और कांग्रेस ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए लोकतंत्र को चोट पहुंचाने का आरोप लगाया। लोकसभा में कांग्रेस ने इस मामले को उठाते हुए जमकर हंगामा किया, लेकिन केंद्र सरकार ने इस मामले से पल्ला झाड़ते हुए स्पष्ट कहा कि कर्नाटक में जो कुछ हो रहा, वह कांग्रेस का अंदरूनी मामला है और वह अपने घर को संभालने में नाकाम हो रही है। यही कारण है कि विपक्ष मामले को सुलझाने की बजाय सदन की कार्यवाही को बाधित कर रहा है। सत्तापक्ष से मिले जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया।

मंगलवार को सदन में प्रश्नकाल की कार्यवाही के समाप्त होने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखने की कार्यवाही पूरी कराई। इसके बाद उन्होंने शून्यकाल की कार्यवाही शुरू होने की घोषणा की। साथ ही कांग्रेस के सदस्य अपनी सीट से खड़े होकर कर्नाटक में चल रहे सियासी उठापटक का मुद्दा उठाने लगे, किंतु अध्यक्ष ने इसकी अनुमति नहीं दी। अनुमति नहीं मिलने से नाराज कांग्रेस के सदस्य नारेबाजी करने लगे। सदन में शोरशराबे के बीच ही अध्यक्ष ने कई सदस्यों के नाम पुकारे और उन्होंने अपनी बात रखी। इसी बीच, कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सदस्य  अध्यक्ष के आसन के समीप  पहुंचकर नारेबाजी करने लगे।

संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने नियम पुस्तिका का हवाला देते हुए कहा कि एक विषय को दो बार नहीं उठाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के बारे में कांग्रेस के नेता भाजपा पर जो भी आरोप लगा रहे हैं, वह सरासर गलत है। वहां सत्तारूढ़ दल के विधायकों के इस्तीफे का सिलसिला राहुल गांधी से शुरू हुआ है।

सदन में विपक्षी सदस्यों की ओर से हंगामा जारी रहने पर नाराज अध्यक्ष बिरला ने कड़े शब्दों में कहा कि वे सदन में कागज नहीं लाएं अन्यथा उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। बिरला की चेतावनी के बावजूद सदन में  हंगामा जारी रहा। इस पर अध्यक्ष ने सभी विपक्षी सदस्यों से अपनी सीट पर जाने की अपील करते हुए कहा कि विपक्ष ने उन्हें कार्यस्थगन प्रस्ताव दिया था, जिसे उन्होंने अस्वीकृत किया है। उन्होंने कहा कि वह हर सदस्य को शून्यकाल में  मुद्दा उठाने का अवसर देते रहे हैं।

सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह लोकसभा अध्यक्ष की पीड़ा को समझते हैं, लेकिन सदन में कामकाज बढ़ा है तो कांग्रेस का भी इसमें योगदान और सहयोग है। उन्होंने कर्नाटक का मामला उठाते हुए कहा कि वहां सरकार को गिराने की राजनीति चल रही है। भाजपा के लोग कह रहे हैं कि अभी कर्नाटक और उसके बाद मध्य प्रदेश की बारी है। इस पर रक्षामंत्री और सदन के उप नेता राजनाथ सिंह ने कहा कि कर्नाटक में जो कुछ भी हो रहा है, वह कांग्रेस का अंदरूनी मामला है। इस पर कांग्रेस, डीएमके और एनसीपी सदस्यों ने सदन वॉकआउट कर दिया। इसके कुछ देर बाद सदन की बैठक दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

उधर राज्यसभा में भी इसी मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। कांग्रेस सदस्य कर्नाटक और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य विनिवेश के मुद्दे को उठाना चाह रहे थे। सदन में हंगामा बढ़ता देख सभापति एम. वेंकैया नायडु ने बैठक 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दोबारा बैठक शुरु होने पर कांग्रेस सदस्य कर्नाटक के सियासी घटनाक्रम को लेकर सत्तापक्ष पर आरोप लगाते हुए नारेबाजी करने लगे। इसके बाद बैठक दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।

उल्लेखनीय है कि कर्नाटक की साल भर पुरानी कांग्रेस-जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) गठबंधन सरकार 14 विधायकों के इस्तीफे की वजह से गिरने की कगार पर पहुंच गई है। कांग्रेस  का आरोप है कि भाजपा कर्नाटक सरकार गिराने की साजिश कर रही है।

 


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