नई दिल्ली, 08 सितम्बर (हि.स.)। पैंगोंग झील के दक्षिण किनारे पर सोमवार रात खदेड़े गए चीनी सैनिकों की सामने आईं तस्वीरें किसी बड़ी हिंसक योजना की गवाही दे रही हैं। राइफलों, भाले और कुल्हाड़े से लैस दिखाई दे रहे चीनी सैनिकों ने भारी मात्रा में बड़े-बड़े पत्थर भी इकट्ठा कर रखे हैं। ऐसे लगता है जैसे चीनी गलवान घाटी जैसी खूनी घटना को अंजाम देने के इरादे से आये थे। साथ ही यह भी खुलासा हो रहा है कि चीनी सेना एलएसी पर बाउचर चाकू के साथ छड़ी जैसे इन नए हथियारों का उपयोग कर रही है।
घटना के बाद देर रात चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के वेस्टर्न थियेटर कमान के प्रवक्ता कर्नल झांग शुइली ने अपने बयान में पूरा आरोप भारत पर मढ़ते हुए कहा था कि भारतीय सैनिकों की ओर से कथित ‘उकसावे’ की कार्रवाई की गई, जिससे चीनी सैनिकों की ओर से जवाबी कार्रवाई की गई। पीएलए प्रवक्ता ने यह भी कहा कि भारतीय सेना ने अवैध रूप से पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे के पास शेनपाओ पहाड़ में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास को पार किया। पीएलए वेस्टर्न कमांडर ने अपने बयान में भारत पर यह भी आरोप जड़ा था कि वास्तव में ’जब वे बातचीत के लिए गए थे, तब भारत ने ‘उकसावे’ वाली कार्रवाई की। हालांकि आज भारतीय सेना ने साफ़ कर दिया कि किसी भी स्तर पर भारतीय सेना ने एलएसी पार नहीं की और फायरिंग सहित किसी भी आक्रामकता का इस्तेमाल नहीं किया।
सेना का कहना है कि पीएलए के सैनिक जब भारतीय पोस्ट के करीब आने का प्रयास कर रहे थे, तभी उन्हें रोका गया। इसके बाद पीएलए के सैनिकों ने भारतीय सैनिकों को डराने के लिए हवा में कुछ राउंड फायर किए। हालांकि गंभीर उकसावे के बावजूद भारत के सैनिकों ने परिपक्व और जिम्मेदार तरीके से व्यवहार किया। अब अगर इन तस्वीरों पर गौर किया जाये तो पता चलता है कि अगर भारतीय सैनिकों ने बड़े संयम का इस्तेमाल न किया होता तो गलवान घाटी जैसी एक और बड़ी घटना हो सकती थी। इन तस्वीरों में चीनी सैनिकों के इरादे साफ़ झलक रहे हैं। चीनी सेना का बयान इन तस्वीरों से मेल नहीं खाता कि चीनी सैनिक जब बातचीत के लिए गए थे, तब भारत ने ‘उकसावे’ वाली कार्रवाई की।
लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी कहते हैं, ‘हम चीन पर भरोसा नहीं कर सकते हैं, उनका प्रचार दुनिया को यह दिखाने के लिए स्पष्ट है कि भारत सभी बदलाव कर रहा है और चीन केवल भारत के संक्रमण का शिकार है। उन्होंने आगे कहा, ‘चीनी बयान कूटनीतिक जवाब दे रहा है। ” भारत की कार्रवाइयों ने चीन और भारत के बीच प्रासंगिक समझौतों का गंभीरता से उल्लंघन किया, क्षेत्रीय तनावों को बढ़ाया और गलतफहमी पैदा कर दी।”