पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने सैन्य अदालतों को 85 मामलों में सशर्त फैसला सुनाने की अनुमति दी
इस्लामाबाद : पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने आज सैन्य अदालतों को नौ मई, 2023 के दंगों से संबंधित 85 मामलों में फैसला सुनाने की अनुमति दे दी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सैन्य अदालतों के फैसले सशर्त होंगे। नरमी के पात्र आरोपितों को रिहा किया जाना चाहिए। जिन लोगों को बरी नहीं किया जा सकता, उन्हें अपनी सजा काटने के लिए जेलों में स्थानांतरित किया जाना चाहिए।
एआरवाई न्यूज चैनल के अनुसार यह फैसला जस्टिस अमीनुद्दीन खान की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ ने सुनाया। शीर्ष अदालत ने नागरिकों के सैन्य मुकदमे के खिलाफ अपील की सुनवाई पर आज अपने आदेश में कहा कि सैन्य अदालतों के फैसले उसके समक्ष लंबित मामलों पर शीर्ष अदालत के फैसले के लिए सशर्त होंगे।
शीर्ष अदालत ने संक्षिप्त आदेश में कहा कि नरमी के पात्र आरोपितों को रिहा किया जाना चाहिए। जिन लोगों को बरी नहीं किया जा सकता, उन्हें अपनी सजा काटने के लिए जेलों में स्थानांतरित किया जाना चाहिए। इस संबंध में आज भी संघीय सरकार के वकील ख्वाजा हारिस ने अपनी दलील रखीं। जस्टिस जमाल खान मंडोखाइल ने उनसे पूछा कि क्या इस श्रेणी में सभी पर मुकदमा चलाने के लिए सेना अधिनियम में संशोधन किया जाना चाहिए? जस्टिस मोहम्मद अली मजहर ने सेना अधिनियम के कुछ प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित करने के पीछे के कारणों के बारे में पूछताछ की।
जस्टिस मंडोखाइल ने कहा कि सेना अधिनियम 1973 के संविधान से पहले बनाया गया था। ख्वाजा हारिस ने जवाब दिया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में खामियां थीं।
जस्टिस जमाल मंडोखाइल ने टिप्पणी की, “अदालत के फैसले का इस हद तक अनादर न करें कि आप इसे त्रुटिपूर्ण कहें।” ख्वाजा हारिस ने माफी मांगते हुए कहा, “मेरे शब्द कानूनी प्रकृति के नहीं थे।” जस्टिस मजहर ने टिप्पणी की कि अदालत ने पिछली सुनवाई के दौरान नौ मई की घटनाओं का विवरण भी मांगा था। वर्तमान में हमारे सामने मामला केवल कोर कमांडर हाउस से संबंधित है। यदि मामला केवल कोर कमांडर के घर तक ही सीमित रहना है, तो कृपया इसे भी स्पष्ट करें। अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सभी विवरण आज सुबह प्राप्त हो गए हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह संपूर्ण विवरण जल्द प्रस्तुत कर देंगे