नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (हि.स.)। आतंकवादियों और अपराधी को धन मुहैया कराने से रोकने के लिए कायम अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को फिलहाल अपनी ‘ग्रे सूची’ में ही रखा है लेकिन उस पर काली सूची में डाले जाने की तलवार अभी भी लटक रही है। यह फैसला तब लिया गया है जब एफएटीएफ के एक्शन प्लान के सभी 27 मापदंडों का पालन करने में पाकिस्तान असफल रहा है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को एक तरह का अल्टीमेटम दिया है कि वह 1 फरवरी 2021 तक उसके लिए निर्धारित कार्य योजना के बकाया 6 मापदंडों को पूरा करें।
एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्क्स प्लीयर ने एफएटीएफ की तीन दिवसीय आम बैठक के समापन पर घोषणा की कि पाकिस्तान ने उसके सामने रखी गई कार्य योजना के 27 में से 21 मापदंडों को पूरा किया है लेकिन बकाया 6 मापदंडों में उसने कार्रवाई नहीं की। इन्हें पूरा करने के लिए उसे फरवरी 2021 तक का समय दिया गया है। एफएटीएफ की बैठक के निर्णय की घोषणा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में की गई।
एफएटीएफ के अध्यक्ष में कहा कि पाकिस्तान को दी गई अंतिम समय सीमा अब समाप्त हो गई है। एफएटीएफ ने कहा कि पाकिस्तान को यह सुनिश्चित करना है कि उसकी कानून लागू कराने वाली एजेंसियां आतंकवादियों को धन मुहैया कराने वाली संस्थाओं और इकाइयों की पहचान कर उनकी जांच करे। पाकिस्तान पर यह भी जिम्मेदारी बनती है कि आतंकवादियों को धन मुहैया कराने वालों को कानून के कटघरे में लाया जाए और उन्हें सजा मिले।
एफएटीएफ ने कहा कि पाकिस्तान को ढाई हजार से अधिक घोषित आतंकवादियों और अपराधियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई प्रभावी ढंग से करनी होगी। उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि स्वयंसेवी संगठनों सहित किसी भी संस्था को ऐसी धनराशि ना मिले। साथ ही ऐसी संस्थाओं और व्यक्तियों की पहचान कर उनकी संपत्तियों को जप्त किया जाए।
पाकिस्तान को इस बात के भी पुख्ता उपाय करने होंगे कि जिन संस्था और व्यक्तियों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए हैं वह वे इनका उल्लंघन न कर सके। इसके लिए राज्य और केंद्रीय सरकार के बीच तालमेल जरूरी है। एफएटीएफ के अध्यक्ष ने एक प्रश्न के उत्तर में बताया कि पाकिस्तान के संबंध में यह फैसला सर्वसम्मति से किया गया। संस्था के अधिकारी कार्य योजना को पूरा किए जाने का मूल्यांकन करने के लिए मौके पर जांच के लिए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के बारे में एशिया-प्रशांत गुट के तहत भी प्रक्रिया चल रही है।
एफएटीएफ की आम बैठक में पाकिस्तान का साथ देते हुए तुर्की ने प्रस्ताव रखा कि छह मापदंडों के पूरा होने का इंतजार करने के बजाय एफएटीएफ के सदस्यों को वहां की यात्रा कर स्थिति की बेहतर जानकारी लेनी चाहिए। हालांकि इस प्रस्ताव का किसी अन्य देश ने समर्थन नहीं किया। यहां तक कि पाकिस्तान के करीबी माने जाने वाले चीन, मलेशिया और सऊदी अरब ने भी इस पर कुछ नहीं कहा।