डॉ. जयशंकर के दौरे से लौटेंगे पाकिस्तान क्रिकेट के अच्छे दिन ?

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16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में संपन्न हुआ शंघाई सहयोग संगठन यानि एससीओ का शिखर सम्मेलन पाकिस्तान में बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है । इसकी कई वजहें है । सबसे पहले तो इतना बड़ा आयोजन बिना किसी कंट्रोवर्सी के शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया । इसके बाद भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर सम्मेलन में शिरकत करने के लिए न सिर्फ इस्लामाबाद पहुंचे बल्कि अपने भाषण में पाकिस्तान की वैसी बखिया नहीं उधेड़ी जैसा कि पिछली बार उन्होने किया था ।

हालांकि भारत के विदेश मंत्री आतंकवाद को लेकर अपने पुराने स्टैंड पर कायम रहे लेकिन इस बार सीधे-सीधे पाकिस्तान का नाम नहीं लिया। जाहिर है इससे पाकिस्तान की सरकार और वहां की आवाम ने काफी राहत की सांस ली है । लेकिन पूरा पाकिस्तान डॉ. जयशंकर के इस दौरे के बाद जिस वजह से सबसे ज्यादा उत्साहित है उसका सिरा जुड़ता है क्रिकेट से ।

आलम ये है कि अब वहां एससीओ से ज्यादा चर्चा भारत पाकिस्तान क्रिकेट की हो रही है। लोगों की उम्मीदें बंध गई है कि डॉ. जयशंकर के दौरे से बदहाली के दौर से गुजर रही पाकिस्तानी क्रिकेट का भी कल्याण हो जाएगा।  दरअसल एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान पाकिस्तान सरकार ने भारत के साथ क्रिकेट पर बातचीत का मौका भी तलाश लिया।

हुआ ऐसा कि शिखर सम्मेलन की समाप्ति के बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के आवास पर मेहमानों के लिए डिनर की व्यवस्था की गई . वहां डॉ. जयशंकर और पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार के बीच अनौपचारिक बातचीत हुई । इस बातचीत के दौरान पाकिस्तान के गृहमंत्री मोहसिन नकवी भी पहुंचे ।

नकवी पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं ।  बताया जाता है कि मुलाकात के दौरान क्रिकेट को लेकर बातचीत होने लगी । और मौका देखते ही मोहसिन नकवी ने चैंपियंस ट्रॉफी के लिए भारतीय टीम को पाकिस्तान आने की अनुमति देने का अनुरोध कर दिया । 

जबसे ये खबर मीडिया में आई है, पाकिस्तान के क्रिकेट प्रेमियों की उम्मीदें हिलोरें लेने लगी है । हालांकि ये तमाम बातें सामान्य बातचीत के बीच हुई और ये कोई आधिकारिक बैठक नहीं थी और न ही डॉ. जयशंकर की ओर से किसी तरह का भरोसा दिलाया गया । इसके बावजूद पाकिस्तान सरकार और वहां के बुद्धिजीवी इसे काफी सकारात्मक डेवलपमेंट मान रहे हैं ।

उन्हे थोड़ी उम्मीद बंधी है कि अगले साल होने वाले चैंपियंस ट्रॉफी में खेलने के लिए भारत पाकिस्तान आ सकता है। और यदि ऐसा हुआ तो ये क्रिकेट डिप्लोमेसी दोनों देशों के बीच जमी बर्फ को भी पिघला सकती है । 

दरअसल पाकिस्तानी इकोनॉमी ही नहीं बल्कि पाकिस्तानी क्रिकेट भी इन दिनों बेहद बुरे दौर से गुजर रही है ।  पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी मिली है और वो काफी खर्च करके स्टेडियम तैयार करवा रहा है । उसके लिए चिंता की बात ये है कि अबतक ये तय नहीं है कि भारतीय टीम पाकिस्तान जाएगी या नहीं ।

यदि भारत ने जाने से मना कर दिया तो टूर्नामेंट को हाइब्रिड मॉडल के तहत कराना पड़ेगा यानि भारत का मैच पाकिस्तान के बाहर किसी अन्य स्थान पर होगा । यदि ऐसा हुआ तो पाकिस्तान को आर्थिक रूप से काफी नुकसान उठाना पड़ेगा । एक तो इसका सीधा असर मैच देखने आने वाले दर्शकों की संख्या पर पड़ेगा और उससे भी बड़ा असर स्पॉन्सरशिप पर पड़ेगा ।

स्पॉन्सर्स का भी पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड पर भारत को मनाने के लिए काफी दबाव पड़ रहा है । भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय सीरीज आखिरूी बार दो हजार बारह तेरह में खेली गई थी । लेकिन पाकिस्तान की ओर से भारत के खिलाफ लगातार आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने की वजह से भारत ने आपसी क्रिकेट संबंध को खत्म कर दिया ।

फिलहाल भारत सिर्फ आईसीसी टूर्नामेंट्स में ही पाकिस्तान के खिलाफ खेलता है और वो भी पाकिस्तान के बाहर । बहरहाल डॉक्टर जयशंकर के इस्लामाबाद दौरे से पाकिस्तान की जो उम्मीदें जगी हैं वो पूरी होती है या नहीं ये आनेवाले कुछ दिनों में पता चलेगा । 


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