गिलगित-बल्टिस्तान के सामाजिक कार्यकर्ता ने पाकिस्तान को दिया जोर का झटका

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जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 कुछ लोगों के हाथ का एक ऐसा हथियार बन गया, जिसने लोगों को जातीय और धार्मिक समूहों पर वीटो पावर दे दिया था।



जिनेवा, 11 सितम्बर (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीयकरण करने के सिलसिले में पाकिस्तान को हर जगह निराशा हाथ लग रही है। पड़ोसी देश ने मंगलवार को इस मसले पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में खूब घड़ियाली आंसू बहाया, लेकिन उसकी दाल नहीं गली और उल्टे उसे शमिंदगी झेलनी पड़ी।
इस मंच पर पहले भारतीय प्रतिनिधि ने उसे करारा जवाब दिया। इसके बाद रही सही कसर  गिलगित बाल्टिस्तान के सामाजिक कार्यकर्ता सेंज सेरिंग और गिलगित-बाल्टिस्तान के रिटायर कर्नल वजाहत हसन ने पूरी कर दी है।
गिलगित बाल्टिस्तान के सामाजिक कार्यकर्ता सेंज सेरिंग ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के भारतीय कदम को बिल्कुल सही बताया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 कुछ लोगों के हाथ का एक ऐसा हथियार बन गया, जिसने लोगों को जातीय और धार्मिक समूहों पर वीटो पावर दे दिया था।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों का इससे भला हुआ वे पाकिस्तान की सेना के सहयोगी बन गए। ऐसे लोग जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के रणनीतिक हितों को बढ़ावा दे रहे थे। सेरिंग ने यहां यूएनएचआसी के 42 वें सत्र में कहा कि गिलगित बाल्टिस्तान भारत का हिस्सा है।
इतना ही नहीं यूएनएचआरसी के सत्र को संबोधित करते हुए गिलगित-बाल्टिस्तान के रिटायर कर्नल वजाहत हसन ने कहा, ‘पाकिस्तान कहता है कि पूरा जम्मू-कश्मीर विवादित इलाका है। लिहाजा वहां पर जनमत संग्रह कराया जाना चाहिए। आखिर पाकिस्तान दावा कैसे कर सकता है कि जम्मू-कश्मीर विवादित क्षेत्र है। ‘
कर्नल वजाहत हसन ने कहा कि कश्मीर के कॉकपिट में गिलगित-बाल्टिस्तान को लंबे समय तक रखा गया। लोग गिलगित-बाल्टिस्तान के महत्व के बारे में नहीं जानते हैं और इसको जम्मू-कश्मीर के साथ जोड़ते हैं।
उधर, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने जम्मू-कश्मीर पर मध्यस्थता करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान आपस में बातचीत से जम्मू-कश्मीर के मसले को सुलझाएं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत कहेगा तो इस मामले पर विचार किया जाएगा।

 


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